भोपाल गणेश विसर्जन हादसा , सीएम कमलनाथ ने दिए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश मृतकों को11 ,11 लाख का मुआवजा

ये आरोप-प्रत्यारोप का वक्त नहीं है। लेकिन प्रशासन को इस बात की जानकारी होना चाहिए थी कि विसर्जन के दिन घाट पर भारी भीड़ होती है। इस दुर्घटना के लिए केवल बच्चे जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि प्रशासन की जिम्मेदारी भी बनती है। ये आपराधिक लापरवाही का मामला है। ऐसे में मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजे के साथ आश्रित को सरकारी नौकरी देनी चाहिए-शिवराज सिंह चौहान



भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में छोटा तालाब के खटलापुरा घाट पर शुक्रवार तड़के करीब 4:30 बजे गणेश विसर्जन के दौरान दो नाव पलटने से 12 लोगों की मौत हो गई। 6 लोगों को बचा लिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, दोनों नावें जुड़ी हुई थीं। जिन पर 20-25 लोग सवार थे। हालांकि इस आंकड़े की प्रशासन ने पुष्टि नहीं की है। उन्होंने अपील की है कि विसर्जन में शामिल किसी परिवार का सदस्य घर न पहुंचा हो तो सूचित करें। इस बीच मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। दो नाविकों पर केस दर्ज किया गया है।इसके फौरन बाद प्रदेश सरकार हरकत में आई और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मृतकों के लिए पहले से घोषित 4-4 लाख मुआवजे की राशि को बढ़ाकर 11 लाख कर दिया। इस बीच कलेक्टर और डीआईजी मृतकों के परिजनों से मिलने पिपलानी स्थित उनके घर पहुंचे हैं मृतकों में  परवेज़ पिता सईद खान उम्र 15 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,रोहित मौर्य पिता नंदू मौर्य उम्र 30 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,करण उम्र 16 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,हर्ष उम्र 20 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,सन्नी ठाकरे पिता नारायण ठाकरे उम्र 22 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,राहुल वर्मा पिता मुन्ना वर्मा उम्र 30 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,विक्की पिता रामनाथ उम्र 28 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,विशाल पिता राजू उम्र 22 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,अर्जुन शर्मा उम्र 18 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी,राहुल मिश्रा उम्र 20 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी, करण पिता पन्नालाल उम्र 26 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।मृतक पिपलानी के 1100 क्वार्टर के रहने वाले थे,प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, दो नावें आपस में बंधी हुई थीं, इनके बीच में मंच बनाकर विसर्जन के लिए प्रतिमा रखी थी। नावों पर करीब 20-25 लोग सवार थे। सभी की उम्र 27-28 साल उम्र थी। कोई भी लाइफ जैकेट नहीं पहने हुआ था। प्रतिमा विसर्जित करते वक्त एक नाव पलटी तो लोग दूसरी पर कूद गए। संतुलन बिगड़ने के चलते दूसरी नाव भी डूब गई। हादसे के फौरन बाद मृतकों के परिजनों से मिलने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "ये आरोप-प्रत्यारोप का वक्त नहीं है। लेकिन प्रशासन को इस बात की जानकारी होना चाहिए थी कि विसर्जन के दिन घाट पर भारी भीड़ होती है। इस दुर्घटना के लिए केवल बच्चे जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि प्रशासन की जिम्मेदारी भी बनती है। ये आपराधिक लापरवाही का मामला है। ऐसे में मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजे के साथ आश्रित को सरकारी नौकरी देनी चाहिए।"


 


 


 


 


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