महाराष्ट्र सरकार बनाने में रार, बीजेपी शिवसेना कभी दूर दूर कभी पास पास


महाराष्ट्र में जनादेश का तमाशा बनाया जा रहा है. नतीजे आने के आठ दिन बाद भी साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और शिवसेना सरकार नहीं बना पाई है. झगड़ा मुख्यमंत्री का है.शिवसेना का बीजेपी को सख्त तेवर जारी है। शिवसेना नेता संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल बीजेपी से सरकार बनाने को लेकर कोई बातचीत नही हो रही है। उन्होंने 50-50 फॉर्मूले का जिक्र करते हुए कहा कि इसी आधार पर हमें जनमत मिला है।महाराष्ट्र में बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। शिवसेना के सख्त तेवर जारी है। गुरुवार को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात करने के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी बीजेपी के सामने झुकने नहीं जा रही है। संजय राउत ने कहा कि जनता चाहती है कि मुख्यमंत्री शवसेना से हो। उन्होंने कहा, “यदि शिवसेना फैसला करती है, तो उन्हें (बीजेपी) राज्य में स्थिर सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या मिल जाएगी। लोगों ने 50-50 फॉर्मूले के आधार पर सरकार बनाने का जनादेश दिया है। जनता चाहती है कि शिवसेना से मुख्यमंत्री हो।” शिवसेना के रुख से यह साफ हो गया है कि वह अपने बात पर अड़ी हुई है। उधर, शिवसेना के सख्त तेवर के बाद बीजेपी में सन्नाटा पसर गया है। बीजेपी की ओर से कोई बयान नहीं आ रहा है। 30 अक्टूबर को बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद देवेंद्र फडणवीस के सुर ढीले पड़ गए थे। उन्होंने नरम लहजे में शिवसेना से अपील की थी कि वह अफवाहों पर ध्यान न दे और बीजेपी के साथ आकर सरकार बनाए। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया था कि जो भी शिवसेना की मांगें हैं उस पर चर्चा करने के सुलझा लिया जाएगा।शिवसेना के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के दौरान 50-50 फॉर्मूले पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गठबंधन पर हामी भरी थी। शिवसेना के हिसाब से उस वक्त यह तय हुआ था कि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के बाद अगर गठबंधन की सरकार बनती है तो उसमें शिवसेना की 50-50 की हिस्सेदारी होगी। यानी कैबिनेट में शिवसेना के 50 प्रतिशत मंत्री होंगे। खबरों के मुताबिक, इसके साथ ही सीएम पद पर ढाई-ढाई साल के लिए सहमति बनी थी। यही वजह कि शिवसेना आज अड़ी हुई है और बीजेपी को उन वादों की याद दिला रही जिसका वचन उसने दिया था। वहीं कहा जा रहा है कि बीजेपी, शिवसेना से किए गए अपने वादे से मुकर गई है।इस सबके बीच गुरुवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के शरद पवार से मुलाकात की, जिसने सियासी गर्मी को बढ़ा दिया. गुरुवार को शिवसेना के विधायक दल की बैठक भी हुई, जिसके बाद से ही राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलता जा रहा है और सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या शिवसेना भाजपा का साथ छोड़ किसी अन्य विकल्प पर विचार कर सकती है.


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