निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों विनय कुमार शर्मा , पवन कुमार गुप्ता मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह को शुक्रवार सुबह ठीक 5:30 बजे फांसी दे दी गई। इस मौके पर जेल प्रशासन से जुड़े 50 से अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान वहां मौजूद जेल अधिकारियों ने चीखने-चिल्लाने का कोई मौका नहीं दिया। इससे पहले फांसी के मद्देनजर तिहाड़ जेल में पूरी तैयारी कर ली गई थी। फांसी देने की कड़ी में सुप्रींटेंडेंट और डिप्टी सुप्रींटेंडेंट दोनों ने निर्भया के चारों दोषियों से मुलाकात कर ली थी। इससे पहले चारों दोषियों को नहलाया गया फिर उन्हें कपड़े पहनाए गए। इससे पहले ठीक 3:15 बजे निर्भया के दोषियों को उनके सेल में जगा दिया था। दैनिक क्रियाकलाप के बाद उन्हें नहलाया गया। इसके बाद उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें चाय के साथ हल्का नाश्ता दिया गया। इसके बाद उन्हें सेल से बाहर फांसी घर की ओर ले जाने की प्रक्रिया शुरू की गई।फांसी के वक्त जेल सुपरिडेंटेट, असिस्टेंट जेल सुपरिडेंटट, वार्डर औऱ तमिलनाडु पुलिस के जवान मौके पर मौजूद रहे. इसके अलावा मेडिकल अफसर, डीएण, एडीएम भी वहां पर रहे. इन सभी की मौजूदगी में चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया गया, जिसके बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि की गई.
निर्भया रेप केस के दोषियों को फांसी से बचाने के लिए वकील एपी सिंह की ओर से कई हथकंडे अपनाए गए. चारों दोषियों को फांसी से बचाने के लिए एपी सिंह के द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का रुख अपनाया गया है, लेकिन इनमें एक भी काम नहीं आया. तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि जब चार दोषियों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया. इससे पहले 1982 में रंगा-बिल्ला को एक साथ फांसी दी गई थी.