मध्य प्रदेश में पिछले दिनों घटे सियासी घटनाक्रम में मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री माननीय श्री बिसाहूलाल सिंह जी जो एक सर्वमान्य आदिवासी नेता है और कांग्रेसी विचारधारा से जुड़ कर सन 1980 से हरिजन आदिवासी पिछड़ा वर्ग किसान मजदूर सर्वहारा वर्गों के हितों के लिए काम करते आए हैं , जीवन के इस पड़ाव में वक्त के नजाकत को समझते हुये इस विकास पुरुष की आखरी तमन्ना है अनूपपुर जिले में रोजगार , फ्लाईओवर , कन्या महाविद्यालय , गांव-गांव पानी बिजली , सड़क , उत्कृष्ट स्कूलों रुपी गंगा बहाकर अनूपपुर जिला निर्माता अब भागीरथी बनने उन्होंने बिगत १० मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दे कर बीजेपी में शामिल हो गए और सभी को हतप्रभ कर मप्र की राजनीती में भूचाल ला दिया ,इस बारे में बिसाहूलाल सिंह ने पत्रकारवार्ता में कहा कि मैं लगभग ४० साल लगातार कांग्रेस की सेवा करने के बाद भी अपनी उपेक्षा से दुखी था।इसलिए पार्टी छोड़ी , 11 दिसंबर 2018 को विधानसभा चुनावों का परिणाम आया था। इसमें कांग्रेस पार्टी सबसे अधिक सीटें जीत कर सरकार में आई। 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने शपथ ली और 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल का गठन हुआ जिसमे 28 मंत्री,बनाये गए । पद के चयन में गुट को साधने का हुआ प्रयास किया गया ,इनमें मालवा-निमाड़ से सबसे ज्यादा 9 मंत्रियों ने शपथ ली है। वहीं, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से पांच, महाकौशल से चार, बुंदेलखंड से तीन, मध्य से छह और विंध्य से एक मात्र विधायक मंत्री बनाए गए हैं जिसमे वरिष्ठता की उपेछा की गयी ,(सिंधिया गुट के 7 लोगों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है, वहीं कमलनाथ और दिग्विजय खेमे के 21 विधायक मंत्री बनने में कामयाब रहे हैं)मंत्रमंडल के गठन के समय लगातार वरिष्ठ विधायक बिसाहूलाल का नाम मिडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा में रहा लेकिन दिग्विजय सिंह जी के दखलअंदाजी से मंत्रिमंडल की सूची से बिसाहूलाल सिंह जी का नाम रातों-रात हटवा कर प्रियव्रत सिंह जी का नाम जुड़वा दिया गया।हलाकि मध्यप्रदेश एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है जहा आदिवासी नेताओ की हमेशा उपेछा होती रही है ,पूर्व में जब अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने सर्वजनिक रूप से घोषणा की थी की मेरे बाद आदिवासी मुख्यमंत्री होगा लेकिन कांग्रेस सत्ता में पुनः आयी तब आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा सिर्फ घोषणा ही रह गयी ,आदिवासी मुख्यमंत्री की जगह दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री बन गए, दिग्विजय सिंह जी के दूसरे पंचवर्षीय में जब बिसाहू लाल सिंह जी ने अर्जुन सिंह जी के घोषणा को याद दिलाते हुए कई आदिवासी विधायकों को लेकर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की आवाज उठाएं यह सुनकर दिग्विजय सिंह जी को हजम नहीं हुई और बिसाहू लाल सिंह जी से नाराजगी व्यक्त करते हुए 4 साल अपने मंत्रिमंडल में जगह नहीं दिए जब बिसाहू लाल सिंह जी कोतमा में ऐतिहासिक विशाल जनसमूह के साथ सोनिया गांधी जी का कार्यक्रम कराए उसी कार्यक्रम में सोनिया गांधी जी ने दिग्विजय सिंह जी को फटकार लगाते हुए तत्काल मंत्रिमंडल में शामिल करने का निर्देश दिए सोनिया गांधी जी का बात मानते हुए मंत्रिमंडल में शामिल किए भी तो बिजली संकट से जूझता मध्य प्रदेश ऊर्जा मंत्री बनाएं इसके बावजूद भी बिसाहू लाल सिंह जी दिग्विजय सिंह जी को अपना नेता मानते रहे 15 साल बाद सिंधिया जी व कमलनाथ जी के नेतृत्व में बड़ी मुश्किल से कांग्रेस की सरकार बनी उसमें भी दिग्विजय सिंह जी के दखलअंदाजी से मंत्रिमंडल की सूची से बिसाहू लाल सिंह जी का नाम रातों-रात हटवा कर प्रियव्रत सिंह जी का नाम जुड़वा दिया गया इस तरह से मध्य प्रदेश का सीनियर आदिवासी नेता का आए दिन उपेक्षा अपमान करते रहे जब पानी सर से ऊपर हो जाती है तब जाकर अपने स्वाभिमान के लिए कठोर कड़ा फैसला २२ विधायकों सहित लिए और यह अचानक ही नहीं हुआ बल्कि यह लगातार उपेछा का ही नतीजा है जो १५ साल बाद बहुमत में आयी कांग्रेस को सत्ता से हाथ गवाना पड़ा .अब फिर मप्र में बीजेपी सत्ता में आने वाली है ,जिसमे प्रमुखता से बिसहुलाल सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है जिसमे मुख्यमंत्री पद की सपथ लेने के साथ ही तुरंत बनाए जा सकते हैं ,सूत्रों के मुताबिक करीब छह बड़े नेता नई सरकार में तुरंत मंत्री बन सकते हैं। इसमें सिंधिया समर्थकों को ज्यादा तवज्जो मिलेगी जिन्होंने कांग्रेस की सरकार गिराने और बीजेपी की सरकार बनने में काफी अहम् भूमिका निभाई है । इसके बाद छह माह के भीतर ये उपचुनाव में उतरेंगे। गोविंद सिंह राजपूत,बिसाहूलाल, एंदल सिंह कंसाना, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न तोमर, इमरती देवी और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के नाम चर्चा में हैं।
विकास रूपी गंगा को लाने बिसाहू बनेंगे भागीरथी मंत्री ..........चैतन्य।