आखिर कांग्रेस के बड़े नेता समय रहते अपने नाराज नेताओं की बात क्यों नहीं सुनते

जब बाजी हाथ से निकल जाती है,तब बड़े नेताओं की नींद खुलती है...


------------------------रघु मालवीय 


भोपाल। देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी कांग्रेस अब धीरे-धीरे गर्त में समाती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस पार्टी में इस समय सबसे बड़ी कमी मजबूत नेतृत्व की महसूस की जा रही है। पार्टी का दमदार नेतृत्व न होना ही कांग्रेस के पतन का कारण बनता जा रहा है। पार्टी में आज एक ऐसा दमदार नेता नहीं बचा है, जिसके धाक से कांग्रेस के नेता बागी होने की जुर्रत न कर पाए। पार्टी में नेताओं की आपसी गुटबाज़ी के चलते नाराजगी बनी रहती है,यह बात मीडिया में आए दिन सुर्खियों में बनी रहती है तो क्या इन जानकारियों से सोनिया गांधी या राहुल गाँधी को पता नहीं चलता कि पार्टी के नेताओं में कहां क्या चल रहा है? या सबकुछ जानते हुए भी ये नेतागण अंजान बने रहते है। कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाज़ी और नाराजगी के चलते पहले गोवा में सरकार बनते-बनते रह गई,फिर इसी वजह से कर्नाटक में बनी बनाई सरकार से हाथ धो लिया। इसका सबसे ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश का है,जहां कांग्रेस ने अपनी गलतियों और नेताओं की गुटबाजी के चलते एक होनहार युवा और बजनदार नेता ज्योतिरादितय सिंधिया को खोने के साथ ही मध्यप्रदेश की सत्ता से भी हाथ धो बैठे। यह सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। अब मध्यप्रदेश की वही कहानी राजस्थान में दुहराने की तैयारी चल रही है। सिंधिया की तरह सचिन पायलट को भी नजरअंदाज करने की सजा कांग्रेस नेताओं को भुगतना पड़ सकता है। जहां राहुल गाँधी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों पर बड़े-बड़े बयानबाज़ी करते है,क्या उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं के इतने छोटे मुद्दे दिखाई या सुनाई नहीं देते। जब मकान पूरी तरह से जल चुका होता है,तब इन लोगों को कुआं खौदने की पड़ती है। यदि कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो कांग्रेस पार्टी आने वाले सालों में अपना अस्तित्व खो देगी।


 


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