माफियाओं के सामने घुटना टेक रहा पुलिस प्रशासन, छोटे कर्मचारियों की बलि लेने में उतारू हुए माफिया, बलि का बकरा बन रहे कर्मचारी ,यशऔर कीर्ति जमा रहे अधिकारी

 


अनूपपुर/ संभाग भर में इन दिनों माफियाओं का बोलबाला देखा जा रहा है चाहे रेत माफिया का हो या अवैध पत्थर ,मुरूम ,कोल माफिया का इन दिनों लगातार कोयलांचल क्षेत्र के जमुना - कोतमा क्षेत्र से सोशल मीडिया में वायरल हो रही वीडियो को सुनने के साथ है संभाग के जैसिंहनगर क्षेत्र में लोड़ी भुरसी में फायरिंग की घटना ,या ग्राम भटिगवां में टायर के नीचे कुचल देने की धमकी ,देने के बाद से यह स्पष्ट होता है कि जिले सहित संभाग भर में प्रशासन नाम मात्र के लिए कठपुतली बनकर माफियाओ के इशारे में काम कर रहा है ,अगर ऐसा ना होता तो विगत सप्ताह भर से एक माफिया के इशारे पर जहां पुलिस विभाग के कई कर्मचारियों के ऊपर गाज गिरती नजर आ रही है, उससे यह साबित हो रहा है कि माफिया जिला व संभाग में बैठे उच्चाधिकारियों से ज्यादा शक्तिशाली है । उनके सामने सारे नियम कानून एक किनारे कर दिए जाते हैं ।और जो कर्मचारी उनके सामने आता है वह बलि का बकरा बन कर रह जाता है ।कारण की विगत सप्ताह पूर्व जब जिले के हाईकमान द्वारा सेट के माध्यम से सभी थानों सहित यातायात विभाग अनूपपुर को भी माफियाओं के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने का आदेश दिया गया। उस वक्त उन्ही अधिकारियों के द्वारा एक विशेष टीम गठित कर कार्यवाही करने की बात क्यों नही की गई ।फिर जब कोतवाली की टीम मौके में मौजूद थी और यातायात विभाग द्वारा पूरे मामले को कोतवाली के हवाले कर दिया गया तो फिर कार्यवाही किये बिना फोन के माध्यम से अपनी पीड़ा बताकर वापस क्यों बुला लिया गया। इतना ही नहीं मामले से छन कर आ रही खबरों के मुताविक रची रचाई रणनीति के तहत कर्मचारियों को मौखिक आदेश देकर कार्यवाही करने के लिए भेज दिया जाता है । और जब कार्यवाही करने पुलिस कर्मचारी वहां पहुंचते हैं तो उन्हें घटनास्थल से बिना कार्यवाही किए ही वापस बुलाने का फरमान हाईकमान के द्वारा दे दिया जाना, यह कहकर कि हमारे पास ऊपर से दवाब आ रहा है ।तत्काल स्थल से वापस आ जाओ ऐसे मामले देश भक्ति जन सेवा के ऊपर सवालिया निशान ख़ड़े करते हैं।इतना ही नही दूसरे दिन रणनीति के तहत आरोपी से ही शिकायत करा कर जब अपने ही कर्मचारियों के ऊपर मुकदमा पंजीबद्ध कर दिया जाए तो पुलिस विभाग का कोई भी कर्मचारी अपने ही अधिकारी के मौखिक आदेश का पालन करके कब तक अपनी बलि चढ़ाता रहेगा ।प्राप्त जानकारी के मुताविक अनूपपुर जिले के मौखिक आदेश की प्रताड़ना कोई पहली बार नहीं है विगत कई माह पूर्व ऐसे ही एक कर्मचारी के द्वारा विवेचना करने के लिए जब शिकायत के आधार पर आरोपी के यहां जाना होता है संयोगवश या की पुलिस नाम के भय से उक्त आरोपी ने अपनी आत्महत्या फांसी लगाकर कर लिया जिसका खामियाजा विवेचक विवेचक छोटे कर्मचारी को भुगतना पड़ा समझ से परे तो यह है कि निश्चित तौर पर अपराधी पुलिस से बचने के लिए सारे रास्ते अपनाते हुए अगर सफल नहीं हुए तो कोई ना कोई बुरा कदम निश्चित ही उठाकर चाहे वह पुलिस के ऊपर ही वार क्यों न कर दे या की कमजोर साबित होने पर अपने आप ही कुछ ना कुछ घटनाएं घटित कर आरोप लगाने में कमी नहीं रखता ।ऐसी घटनाओं के बाद कार्यालय में बैठे फरमानकर्ता अधिकारी शायद उस वक्त यह भी भूल जाते हैं । कि उक्त कर्मचारी हमारे ही आदेश का पालन करते हुए अपनी नौकरी व अपने जान का खिलवाड़ कर रहा है।और होता भी वही है कि छोटा कर्मचारी पिस जाता है ।सवाल तो यह है कि ऐसे में शायद ही कोई कर्मचारी निष्पक्ष रुप से अपनी सेवा दे सकेगा।


पुलिस का छोटा कर्मचारी हो रहा प्रताणना का शिकार


 दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुसार देखने को मिल रहा कि पुलिस का कर्मचारी भर्ती होने के बाद से ट्रेनिंग अवधि में अपने ही अधिकारियों के बंगले में मजदूर की भांति काम करता है । और जब जिम्मेदारी मिलती है कुछ काम करने की उस वक्त वही अधिकारी लालच या दवाब में खरा नहीं उतर पाने के कारण अपने अधिकार के नियम कानून अंतर्गत कार्यवाही का शिकार बन कर बैठ जाता है । शायद उस वक्त उन अधिकारियों को पिछली बात भी ध्यान में नहीं रहती की कहीं ना कहीं उक्त कर्मचारी हमारी सेवा करके ही इस मुकाम तक पहुंचा है।


कोरोना काल मे पिस रहे कर्मचारी


 विगत 5 माह से एक और कोरोना जैसी महामारी का दंश दुनिया भर के लोग झेल रहे हैं वही पुलिस मुख्यालय भोपाल से सख्त आदेश जारी किया गया था कि उक्त काल में कोई भी कर्मचारी अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर काम नहीं करेगा ।लेकिन जिले में बैठे उच्चाधिकारियों का मौखिक आदेश मानकर वही कर्मचारी पूरे कोरोना काल में विवेचना के दौरान ।जिले से बाहर ही नहीं अन्य जिला व प्रदेश तक अपने स्वयं के खर्चे से जाकर विवेचना व अन्य कार्य कर रहे है। उस वक्त उन अधिकारियों को शायद वाहन उपलब्ध कराने तक के लिए भूल जाता है।


सेटिंग में चल रहा विभाग


 जिले के पुलिस विभाग में लगातार कई वर्षों से देखने को मिल रहा है की जब कोई अधिकारी की ,अन्य जिले से पदस्थापना इस जिले में होती है। तो उनके द्वारा अंगरक्षक बनाकर 2 ,4 पूर्व मे सहयोगी रहे कर्मचारियों को साथ में लाकर चुनिंदा थानों में पदस्थ करते हुए अतिरिक्त लाभ कमाए जाने में कोताही नहीं की जाती । भले ही पहले से काम कर रहे कर्मचारी के साथ रणनीति क्यों न करना पड़े ।लेकिन अपने खास चमचों को एडजेस्ट कर उन्ही के माध्यम से लाभ कमाना अपना विशेष अधिकार माना जा रहा है ।


समयमान वेतनमान का नही मिल रहा लाभ


 सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश शासन के वित्त विभाग मंत्रालय भोपाल के आदेश क्रमांक एफ11 /1/ 2009/ नियम 4 को भोपाल दिनांक 24/1/ 2009 पुलिस मुख्यालय भोपाल के पृष्ठ क्रमांक-पु.मु//3/कार्मिक/स-11/1698/09 दिनांक08/04/2009 मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग मंत्रालय भोपाल के आदेश क्रमांक-एफ-11/1/2008/नियम/चार भोपाल दिनांक 31/05/2011 पुलिस मुख्यालय भोपाल के पृष्ठ क्रमांक/पु.मु/18/योजना/2-बी/796/11 दि.13 जुलाई 2011 मैं निहित प्रावधान के अनुसार इस क्रम इकाई में पदस्थ आरक्षक /प्रधान आरक्षक/ सहायक उपनिरीक्षक /स्तर के कर्मचारी जिनकी सेवा 10/ 20/ 30 वर्ष पूर्ण हो चुकी है उनके सेवा अभिलेख की बारीकी से जांच करा कर इकाई स्तर पर गठित कमेटी द्वारा पात्र व्यक्तियों को समय मान वेतनमान का लाभ दिया जाना अनिवार्य किया गया था। लेकिन यहां के वरिष्ठ अधिकारी कर्मचारियों की उदासीनता के कारण आज दिनांक तक चमचागिरी करने वाले कर्मचारियों को छोड़कर, अन्य कर्मचारियों को को उक्त आदेश का लाभ नहीं दिया जा रहा। उपरोक्त सभी मामलों से परेशान संभाग भर के कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है कि अगर राजनीतिक दबाव में आकर अधिकारियों द्वारा अपने ही कर्मचारियों को कार्य करने का मौखिक आदेश दिया जाएगा और मामला बिगड़ने के बाद वही अधिकारी अपने कर्मचारियों की बलि लेने में उतारू होंगे तो कर्मचारी कब तक अधिकारी के दवाब में आकर बड़े-बड़े क्राइम जैसे मामलों में हाथ डालकर अपने ऊपर उल्टा मुकदमा कायम कराता रहेगा ।


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