गुणवत्ताविहीन कोचिंग सेंटर आना नही चाहते विद्यार्थी

करोडो का बजट भी नही तराश सका लाखों में एक अभिमन्यू,कोरोना काल में विद्यार्थियों की अनुपस्थिति को माना लापरवाही



सितंबर 2019 को जिलेभर में परीक्षाओं का आयोजन कर 9वीं और 11वीं के 100-100 बच्चों का चयन किया गया, प्रशासन की मंशा थी कि पूरे जिले से चयन किये गये इन होनहारो को द्रोणाचार्यो से तराश कर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया जायेगा, आरोप है कि दो वर्षो के लिए लगभग 5 करोड का बजट क्लासफैलो के एनजीओ को दिया गया, योजना गलत मंशा के कारण इस तरह औंधे मुंह गिरी कि अब महज 40-50 छात्र ही शेष है।

अनूपपुर /प्रदेश ही नही बल्कि देश में अनूपपुर ऐसा अकेला जिला होगा, जहां पर वर्तमान में शिक्षा अर्जित कर रहे, छात्रों की संख्या से कुल बजट को मापा जाये तो महज दो वर्ष की कोचिंग के लिए प्रति छात्र सरकार लगभग 10 लाख रूपए खर्च कर रही है, सितंबर 2019 में आदिवासी विकास विभाग के द्वारा जिले के विभिन्न ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों के 9वीं और 11वीं के 200 छात्रों का चयन किया गया, स्वयंसेवी संगठन को कोचिंग की जवाबदारी दी गई और चर्चा रही कि इसके लिए लगभग 5 करोड रूपए का बजट दो वर्षो के लिए स्वीकृत किया गया। बीते डेढ वर्ष के दौरान कोचिंग की गुणवत्ता न्यून होने के कारण लगभग छात्रों ने इससे किनारा कर लिया। सूत्रों पर यकीन करें तो वर्तमान में कक्षा-10वीं के अधिकतम 25 और 12वीं के अधिकतम 15 छात्र ही शेष बचे है।सितंबर 2019 में जिले के विभिन्न विद्यालयों में कक्षा-9वीं और 11वीं के छात्रों की परीक्षा आयोजित की गई, शासन द्वारा यह प्रचारित किया गया कि इनमें से 100-100 का उत्कृष्ट चयन किया जायेगा और उन्हे उत्कृष्ट शिक्षक दो वर्षो तक जेईई और नीट सहित बोर्ड परीक्षा की तैयारी करवायेंगे। प्रशासन ने इसके लिए संभवत: 5 करोड का बजट स्वीकृत कर, इसकी जिम्मेदारी स्वयंसेवी संगठन को दी, जिसके बाद मॉडल स्कूल को शासकीय कमरे और बैठक व्यवस्था एनजीओ को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये, लगभग 200 छात्रों को नि:शुल्क कोचिंग भी शुरू की गई और पूरे जिले सहित प्रदेश में ढिंढोरा पीट कर सुर्खियां बटोरी गई।वर्तमान में नि:शुल्क कोचिंग केन्द्र में महज 40 से 50 छात्र ही पहुंच रहे है, आरोप है कि कोचिंग की गुणवत्ता न होने तथा कोरोना काल के दौरान लगभग व्यवस्थाएं ठप्प होने के कारण छात्रो व अभिभावकों ने शासकीय ढोल की पोल महसूस की और लगभग 75 प्रतिशत ने इस कोचिंग से किनारा कर लिया। हालांकि कोरोना काल के दौरान ऑनलाईन पढाई का ढिढोंरा पीटा गया, लेकिन जब छात्रों से इस संदंर्भ में पडताल की गई तो उन्होने नियमित कक्षाओं के संचालन होने का खंडन किया।छात्रों को नि:शुल्क कोचिंग देने की व्यवस्था स्वयंसेवी संगठन को दी गई थी तथा मॉडल विद्यालय को भवन व बैठक व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई थी, यही नही जिस करोडो की बजट की चर्चा चौराहो पर थी वह भी अकेले स्वयंसेवी संगठन के खाते में जाना था, बीते वर्ष तत्कालीन शासकीय मॉडल स्कूल अनूपपुर के प्राचार्य को उक्त व्यवस्था में सहयोग न देने के आरोप लगाते हुए पद से हटाया गया था, लेकिन राजधानी में बैठे विभाग के जिम्मेदारो ने मामले की हकीकत जानी और कार्यवाही होने के बाद भी उक्त प्राचार्य को राहत दे दी थी।बीती 1 फरवरी को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कलेक्टर अनूपपुर के 27 जनवरी को जारी किये गये पत्र का हवाला देते हुए कोचिंग में मॉडल स्कूल के प्राचार्य द्वारा सहयोग न करने हेतु उनसे जवाब मांगा गया। इससे पूर्व सांईंस सेंटर के संचालक के द्वारा कलेक्टर को पत्र भेजकर प्राचार्य के अहसयोग की सूचना दी गई थी। सवाल यह उठता है कि पूर्व से तय गाईडलाइन के अनुसार बच्चो का चयन किया गया था, मॉडल विद्यालय को महज बैठक और भवन की व्यवस्था करनी थी, छात्रों की संख्या 200 से घटकर 50 तक पहुंच गई, इसके पीछे बैठक व्यवस्था का सृदढ न होने या छात्रों को कोचिंग के दौरान पीने का पानी उपलब्ध न कराना हास्यस्पद सा है।आरोप है कि जिला प्रशासन द्वारा करोडो का बजट स्वीकृत कर जिन द्रोणाचार्यो को एकलव्यो को तराशने की जिम्मेदारी दी गई थी वे सभी द्रोणाचार्य पिछड गये, गुणवत्ताविहीन कोचिंग ही शायद छात्रों के पलायन का कारण बनी, बची-कुची कसर कोरोना काल ने पूरी कर दी, लेकिन पूरे मामले में प्रस्तुत भुगतान के देयको की सुगमता के लिए पूर्व की तरह एक बार फिर प्राचार्य पर ठीकरा फोडने की तैयारी है।शिक्षा व्यवस्था का ढोंग रचने वाले और कलेक्टर के इर्द-गिर्द घूमने वाले तथाकथित राजनैतिक संरक्षण प्राप्त शिक्षक मॉडल स्कूल में पदस्थ होने के लिए हथकंडे अपना रहे है, शायद यही कारण है कि बार-बार मॉडल स्कूल में महज यह कहते हुए प्राचार्यो पर आरोप लगाये जाते है कि कोचिंग व्यवस्था में सहयोग नही दिया जा रहा है, संचालक को ऐसा कौन सा सहयोग होगा जो दोनो प्राचार्य पूर्ण नही कर पा पाये और तीसरा प्राचार्य आयेगा तो वह पूर्ण कर देगा, फिलहाल यह बात प्रशासन के अलावा कोई नही समझ सकता है।

इनका कहना है

कोचिंग की बजट तीन भागों में है, कुछ बजट को खनिज मद में वापस करने के निर्देश हुए है, वर्तमान स्थिति की जानकारी नही है, इसके अतिरिक्त इसकी जानकारी मैं दस्तावेज देखकर ही बता पाऊंगा।

पी.एन. चतुर्वेदी, सहायक आयुक्त (आदिवासी विकास विभाग अनूपपुर)

Popular posts
मड़फा तालाब में छठ पूजा की तैयारी पूर्ण । सुरक्षा ,वातावरण निर्माण,शान्ति व्यवस्था एवं विधि विधान के साथ होगी पूजा । एडवोकेट अक्षयवट्
Image
बरगवां अमलाई में 9 दिवसीय शिवमहापुराण कथा: भक्ति में डूबेगा सोड़ाफैक्ट्री ग्राउंड
Image
अनूपपुर जिले में पत्रकारिता: अवैध वसूली का बढ़ता दाग
Image
अनूपपुर पूर्व पार्षद पुरुषोत्तम चौधरी ने पुलिया निर्माण हेतु ज्ञापन सौंपते हुए अमरण अनशन की दी के लिए चेतावनी।
Image
अनूपपुर जिले में आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटनाओं का बढ़ता संकट, शिव मारुति युवा संगठन ने कलेक्टर से की कार्यवाही की मांग
Image