लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस उबर नहीं पा रही है। कांग्रेस का गैर-लोकतांत्रिक रवैया उसके डूबने का सबसे बड़ा कारण है। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पार्टी में नेतृत्वविहीन हो गई है, कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी को इस्तीफा दिये हुए 1 महीना हो गया है लेकिन पार्टी अब तक नये अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पाई है और ऐसा लग रहा है कि जैसे इस पार्टी का अब कोई हाईकमान ही नहीं बचा है। कर्नाटक संकट को अभी कांग्रेस हल ही नहीं कर पाई थी कि गोवा में अपने 15 विधायकों में से 10 विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने की खबर ने जैसे उसके पैरों तले से जमीन ही खिसका दी है। एक ओर भाजपा लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीत कर राष्ट्रीय स्तर पर अपने संगठन को मजबूत करने में लगी है तो वहीं कांग्रेस में चल रहे पार्टी पद से इस्तीफों के दौर और पार्टी छोड़ने की बढ़ती घटनाओं ने देश की सबसे पुरानी पार्टी को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है।लोकसभा चुनावों के बाद से भाजपा लगातार मजबूत होती जा रही है औरऐसे बिधायको को खोज रही है जो बीजेपी की ताकत बढ़ने में सहयोग करे !
पिछले एक हफ्ते के अंदर कर्नाटक और गोवा में जो हुआ वह कांग्रेस की मौजूदा राजनैतिक हालत को बयां कर रहे हैं कांग्रेस में किसी को राजनैतिक भविष्य नहीं दिखता और एक तरह से पूरी पार्टी में भगदड़ मचने लगती है. ऐसी ही भगदड़ पहले कर्नाटक में देखी गई, जहां गठबंधन की सरकार खतरे में है,कर्नाटक में इस समय जो नाटक चल रहा है उसके सूत्रधार कांग्रेस के विधायक ही हैं। पार्टी के 10 विधायकों ने एक साथ विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर कुमारस्वामी सरकार को मुश्किल में डाल दिया। जैसे-जैसे यह नाटक लंबा खिंचता गया वैसे-वैसे इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या बढ़ती रही। कहा जा रहा है कि राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 12, जनता दल सेक्युलर के तीन और दो निर्दलीय विधायक अपनी अपनी पार्टियों का साथ छोड़ भाजपा के साथ जाने को तैयार हैं। और अब गोवा में देखी गई, जहां दो साल पहले विधानसभा चुनाव में नंबर-एक पार्टी कांग्रेस के अब 17 में से सिर्फ 5 विधायक ही रह गए ! कांग्रेस को अगला झटका गुजरात में लगा जहां राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद पार्टी विधायक अल्पेश ठाकोर व धवल सिंह झाला ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है । बताया जा रहा है कि पार्टी का एक और विधायक इस समय कांग्रेस से नाराज चल रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, व् सोनिया गांधी ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए संसद परिसर में धरना दिया लेकिन यहां वह यह भूल गये कि जब इन लोगों ने अपनी पार्टी को मझधार में छोड़ दिया है जो की जन विश्वास की उपेक्छा है ,यदि उन्हे सच में ऐसा लग रहा है कि संवैधानिक संस्थान और लोकतंत्र खतरे में है,तब तो देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की जिम्मेदारी देश के प्रति कुछ अधिक हो जाती है। ऐसे समय इस पार्टी का प्रमुख अपने उत्तरदायित्व से क्यों मुंह मोड रहा है
नेतृत्वहीन होती कांग्रेस में लगातार विधायकों का पलायन