गणेश चतुर्थी- महत्व, उत्सव, और अनुष्ठान

भगवान गणेश के जन्मोत्सव के तौर पर मनाये जाना वाला गणेश चतुर्थी का त्योहार इस बार 2 सितंबर को पड़ रहा है।



गणेश चतुर्थी  का त्योहार भारत भर में बहुत भव्यता और शान के साथ मनाया जाता है। यह अवसर भगवान गणेश, जो कि ज्ञान और समृद्धि के भगवान हैं, उनके जन्म का जश्न मनाता है। उन्हें नई शुरुआत के भगवान के रूप में भी माना जाता है क्योंकि गणपति के आशीर्वाद के बिना कोई शुभ काम शुरू नहीं होता है।गणेश चतुर्थी त्यौहार का महत्व भगवान गणेश की पूजा करने में है क्योंकि वह ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान, बौद्धिक शक्ति, धन और शक्ति, खुशी, समृद्धि और सफलता का प्रतीक है। लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि वे उनसे आशीर्वाद मांग सकें ताकि वे अच्छे भाग्य, समृद्धि, सफलता के अपने सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त कर सकें और अपने ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ा सकें।हिंदू धर्म में, यह शायद एकमात्र त्यौहार है जो भक्तों को भौतिक और साथ ही सर्वशक्तिमान के आध्यात्मिक रूप की पूजा करने की अनुमति देता है। गणपति अच्छी शुरुआत के भगवान हैं । ऐसा माना जाता है कि वह विसर्जन के समय परिवार की सभी कठिनाइयों और बाधाओं को दूर कर देता है । गणेश चतुर्थी शायद कुछ त्यौहारों में से एक हैं जिसका समाज के सभी वर्गों द्वारा उत्सुकता से प्रतीक्षा की जाती है


कब से कब तक मनाया जाता है गणेशोत्सव
गणेश चतुर्थी का त्यौहार मुख्य रूप से भाद्रपद  के महीने में नए चंद्रमा के चौथे दिन मनाया जाता है। उत्सव 10 दिनों की अवधि के लिए जारी रहता है और इस अवसर के 11 वें दिन अनंत चतुर्दशी पर, गणेश विसर्जन के साथ उत्सव समाप्त होता है।
गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है। मान्यता है कि गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्चे डण्डे बजाकर खेलते भी हैं। इसी कारण कुछ क्षेत्रों में इसे डण्डा चौथ भी कहते हैं।
कैसे करें गणेश प्रतिमा की स्थापना व पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है। यह प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से अपने सामर्थ्य के अनुसार बनाई जा सकती है। इसके पश्चात एक कोरा कलश लेकर उसमें जल भरकर उसे कोरे कपड़े से बांधा जाता है। तत्पश्चात इस पर गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है। इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार कर उसका पूजन किया जाता है। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकि ब्राह्मणों में बांट दिये जाते हैं। गणेश जी की पूजा सांय के समय करनी चाहिये। पूजा के पश्चात दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी दी जाती है।गणेश चतुर्थी इस बार 2 सितंबर, सोमवार को है.गणेश पूजन के लिए मुहूर्त : दोपहर 11:04 बजे से 1:37 बजे तक. ये करीब 2 घंटे 32 मिनट की अवधि है.


 


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