तय समय-सीमा में जानकारी नहीं देने पर दो अफसरों को ढाई-ढाई लाख रुपए के जुर्माने के नोटिस थमाए मामला उमरिया नगर पालिका का
भोपाल. मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयोग ने तय समय-सीमा में जानकारी नहीं देने पर दो अफसरों को ढाई-ढाई लाख रुपए के जुर्माने के नोटिस थमाए हैं। मामला उमरिया जिले की चंदिया नगर पालिका का है। यहां एक ही कार्यालय से सूचना के अधिकार का यह संभवत: पहला मामला होगा, जब एक साथ दो अफसरों पर दस मामलों में अधिकतम जुर्माना किया गया।नोटिस में कहा गया है कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मार्च 2016 में अपीलार्थी अनुपम मिश्रा ने एक-एक बिंदु पर जानकारी के लिए दस अलग-अलग आवेदन दिए थे। ये जानकारियां देने योग्य थीं। लेकिन, नगर पालिका के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी नरेंद्र कुमार पांडे ने तीस दिन की तय-सीमा में जानकारी नहीं दी। न ही कोई निर्णय लिया। प्रकरण को अनावश्यक लंबित रखा। यहां तक कि जुलाई 2016 में प्रथम अपील आदेश के बावजूद जानकारी नहीं दी गई।दूसरी अपील में आयोग के आदेश की अवहेलना का दोषी वर्तमान लोक सूचना अधिकारी विनोद चतुर्वेदी को पाया गया है। चतुर्वेदी ने खुद पेश होने के बजाए अपने प्रतिनिधि के जरिए कुछ प्रकरणों में अपीलार्थी को जानकारी देने का प्रमाण भेजा। लेकिन, वे यह स्पष्ट नहीं कर सके कि प्रकरण के निराकरण में तीन वर्ष से अधिक का समय क्यों लगा? ऐसा क्या था, जिसकी वजह से जानकारी नहीं दी गई।आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने लोक सूचना अधिकारी की सुविधा के लिए उनसे जुड़े कई केस एक साथ लगाए ताकि एक ही बार के आवागमन में इनका निराकरण संभव हो सके। पिछली दो सुनवाइयों में उनका रवैया बेहद निराशाजनक रहा। तीसरी बार उन्होंने अपने प्रतिनिधि को एक रसीद देकर रवाना कर दिया। अपने आदेश में आयोग ने कहा कि यह साफ है कि न तो उनकी समय पर जानकारी देने में ही कोई रुचि है और न ही आयोग के आदेश को गंभीरता से लेने की प्रवृत्ति है। यह टालमटोल का लापरवाहीपूर्ण और खानापूर्ति करने का अलोकप्रिय सरकारी रवैया ही है।