- भोपाल गैस त्रासदी के एक्टिविस्ट अब्दुल जब्बार का निधन
- कई दिनों से चल थे बीमार, आंख से कम दिखाई देता था
- MP सरकार ने इलाज का खर्च उठाने का किया था ऐलान
भोपाल / भोपाल गैस पीड़ितों के मसीहाऔर सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार अब इस दुनिया में नहीं रहे। गुरुवार रात 62 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। भोपाल गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने में अपनी जिंदगी खपा देने वाले अब्दुल जब्बार का बीते कुछ दिनों से एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। इसी दिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अस्पताल पहुंचकर उनकी सेहत की जानकारी ली थी। उन्होंने यादगारे शाहजहांनी पार्क पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ भी उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी थी। जब्बार 1984 की गैस त्रासदी की पीड़ित महिलाओं के संगठन से जुड़े थे और उन्हें हक दिलाने के लिए जिंदगी भर जुटे रहे। भोपाल गैस त्रासदी का प्रभाव अब भी देखा जा सकता है। इस विभीषिका के बाद अब्दुल जब्बार आगे आए और वह पीड़ितों की आवाज बने। अपने एनजीओ के माध्यम से वह पीड़ितों के परिवार की मदद करते थे और उनकी बात को सरकार तक पहुंचाने का भी काम करते थे। मालूम हो कि इस गैस त्रासदी में अब्दुल जब्बार ने अपने माता-पिता को भी खो दिया था। यहां तक कि उनके फेफड़े और आंखों पर भी असर पड़ा था। भोपाल गैस की तबाही ऐसी थी कि हवा जिस ओर भी बहती थी लोगों की मौत होती चली जाती थी। कुछ ही घंटों में वहां तीन हजार लोगों की मौत हो गई। उनके द्वारा बनाया गया एनजीओ लगभग तीन दशक से गैस त्रासदी के पीड़ितों की मदद कर रहा है। उनके प्रयासों के कारण ही भोपाल गैस त्रासदी के लाखों पीड़ितों को इलाज मिल सका था।