हनी ट्रैप आरोपी श्वेता जैन की संस्था स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी को नगर निगम भोपाल में करोड़ो का काम

हनी ट्रैप आरोपी श्वेता जैन के पति की संस्था रही स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी को नगर निगम भोपाल में  करोड़ो का काम, मंत्री ने तलब की जानकारी 



भोपाल हनी ट्रैप मामले की आरोपी रही श्वेता जैन के पति की संस्था रही स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी इस समय चर्चा में है  स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी नाम के एनजीओ को नगर निगम द्वारा आठ करोड़ रुपए का प्रचार प्रसार का काम दिए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने नगर निगम से पूरे प्रकरण की जानकारी तलब की है। नगर निगम के अधिकारी भी इस मुद्दे को लेकर दो फाड़ हो गए हैं। एनजीओ को काम दिए जाने की जानकारी महापौर परिषद के सदस्यों को भी नहीं थी। एनजीओ को भोपाल नगर निगम ने 12 सितंबर को आठ करोड़ रुपए का काम दिया था। काम देने से पहले नगर निगम परिषद की मंजूरी नहीं ली गई थी, बल्कि सीधे आदेश जारी कर राशि का आवंटन कर दिया गया था। काम मध्यप्रदेश के एक ताकतवर राजनेता और एक आला अफसर के कहने पर दिया गया था। स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी जो कुछ समय पूर्व हनी ट्रैप की आरोपी श्वेता जैन की थी कि काम दिए जाने की जानकारी सामने आने के बाद सरकार भी गंभीर हो गई है। मंत्री ने नगर निगम के कमिश्नर वी. विजय दत्ता से इस मामले की जानकारी तलब की है। नगर निगम के अफसरों की दलील यह है कि स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी का नाम हनी ट्रैप कांड में सामने आने के बाद उन्हें नोटिस जारी कर इस बारे में पूरी जानकारी ली गई थी। सोसायटी के चेयरमैन ने बताया था कि अब इस सोसाइटी के सदस्यों में श्वेता और स्वप्निल शामिल नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि सोसायटी से श्वेता और उसके पति का नाम भले हट गया हो, लेकिन काम दिलाने में पति-पत्नी की भूमिका अहम रहती थी। स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी और सानिध्य समिति के ज्यादातर सदस्य भी समान हैं।  संस्था को हाउसिंग फॉर ऑल के मकान बेचने का काम दिया गया। एक मकान बिकवाने पर सोसायटी के साथ काम कर रही सानिध्य संस्था को साढे पांच हजार से दस हजार रुपए तक मिल रहे हैं। एचएफए में नगर निगम को 50 हजार से ज्यादा मकान बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। इसमें ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी शामिल हैं। नगर निगम ने योजना में बन रहे मकानों की मार्केटिंग और इनको बेचने का जिम्मा स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी के साथ सानिध्य संस्था को दिया है। यहां खास बात यह है कि नॉन स्लम का एक ईडब्ल्यूएस बेचने पर साढ़े पांच हजार, एलआईजी के लिए 9500 और एमआईजी के लिए दस हजार रुपए सोसायटी को दिए जाएंगे। ऐसे मकानों की संख्या 22 हजार से ज्यादा है। सभी मकान बेचने का जिम्मा स्वप्निल सोसायटी व सानिध्य को देने की स्थिति में नगर निगम उनको कम से कम आठ करोड़ रुपए का भुगतान करेगा। एलआईजी, एमआईजी से गणना करने पर यह राशि 12 करोड़ रुपए के पार पहुंच जाएगी।बताया जा रहा है की स्वप्निल सोसायटी के पदाधिकारी बदल गए नगर निगम की ओर से इस मामले में सफाई दी गई है कि स्वप्निल जैन के स्थान पर सुमित पाठक 23 सितंबर, 2018 को स्वप्निल एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष नियुक्त  हए इसके बाद स्वप्निल जैन का सोसायटी से कोई संबंध नहीं रहा। फिर अगस्त,2019 में एमआईसी ने इन संस्थाओं के न्यूनतम ऑफर को मंजूरी दी। ऐसे में निगम प्रशासन ने संस्थाओं से नवंबर में अनुबंध कर करीब 2.81 करोड़ रुपए का कार्यादेश जारी कर दिया। दस्तावेजों में कहीं भी श्वेता जैन का नाम नहीं है। नगर निगम का कहना है कि नियम प्रकिया का पालन करने के बाद ही काम दिया गया है। इसमें कुछ गलत नहीं है। नगर निगम के मकान बेचने के लिए एनजीओ की मदद लेने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।   सरकारी संस्था को ब्रोकर रखने की क्या जरूरत है। बीडीए, हाउसिंग बोर्ड जैसी सरकारी विकास एजेंसियां भी मकान बनाती हैं पर बेचने के लिए निजी संस्था को हायर नहीं करती है। इसके लिए निगम प्रशासन तर्क दे रहा है कि इंदौर नगर निगम ने भी ऐसा किया है। वहां मिले अच्छे परिणामों को देखते हुए राजधानी में इस पर अमल किया गया


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