भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. इस लोकतंत्र को बनाए रखने में एक खास भूमिका निभाता है चुनाव आयोग. इसी चुनाव आयोग के 1990 में मुखिया रहे थे टीएन शेषन. जिनका 86 साल की उम्र में रविवार देर रात निधन हो गया. शेषन को चुनाव आयोग को शक्तिशाल बनाने के लिए पहचाना जाता है.। शेषन को उनके कड़े रुख और देश चुनावी व्यवस्था में सुधारों के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर उस समय के बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव किसी को भी नहीं बख्शा।टी एन शेष पहले चुनाव आयुक्त थे जिन्होंने पहली बार बिहार में 4 चरणों में चुनाव करवाया था। और चारों बार चुनाव की तारीखें बदली गई थीं। यह बिहार के इतिहास का सबसे लंबा चुनाव था। शेषन देश के 10वें चुनाव आयुक्त बनने से पहले कई मंत्रालयों में तैनात रह चुके थे। अपने इस ईमानदार स्वभाव के चलते हमेशा राजनेताओं के निशाने पर रहने वाले शेषन से तमाम दलों के नेता खौफ खाते थे. उस समय में कहा जाता था कि नेता या तो भगवान से डरते हैं या फिर टीएन शेषन से. खुद शेषन को भी इस बात का इल्म था. इसलिए ही तो उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, 'आई ईट पॉलिटीशियंस फॉर ब्रेकफास्ट,' मतलब, मैं 'नाश्ते में नेता' खाता हूं