६ सूत्री मांगो को लेकर सहकारी समितियों के विक्रेता दुकान बंद कर अनिश्चित कॉलीन हड़ताल पर

मप्र. सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ अनूपपुर ने बैनरतले सभी विक्रेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंप अपनी मांगों को एक सप्ताह के अंदर पूर्ण करने की मांग एवं ३ दिसम्बर तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करने पर वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने की बात कही। जिसमें बुधवार ४ दिसम्बर से अपनी मांगों में दुकानों पर ताला लगा दिया है



अनूपपुर। म.प्र. सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ अनूपपुर द्वारा अपनी ६ बिन्दुओ की मांग को लेकर ४ दिसम्बर से जिले भर के समस्त सेल्समैन अपनी-अपनी दुकानों पर ताला लगा कर इंदिरा तिराहे के पास अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए है। वहीं सेल्समैनो के अनिश्चिित कॉलीन हड़ताल में बेठ जाने के लिए जिले भर के ३१२ शासकीय उचित मूल्य दुकान के १ लाख ५४ हजार हितग्राहियों को माह दिसम्बर का खाद्यान्न मिलना बंद हो गया है। वहीं अनिश्चित कॉलीन हड़ताल में बैठे विक्रेताओं ने बताया की इससे पूर्व मप्र. सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ अनूपपुर ने बैनरतले सभी विक्रेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंप अपनी मांगों को एक सप्ताह के अंदर पूर्ण करने की मांग एवं ३ दिसम्बर तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करने पर वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने की बात कही। जिसमें बुधवार ४ दिसम्बर से अपनी मांगों में दुकानों पर ताला लगा दिया है। जिलाध्यक्ष रजनीश कुमार तिवारी ने बताया की सहकारी समितियों में कार्यरत विक्रेता जो शासकीय उचित मूल्य दुकानो में कार्यरत है समस्याओं से गुजर रहे है। जिसमें विक्रेता शासन की महत्वपूर्ण योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली जो सीधे गरीब उपभोक्ताओं से जुड़ा हुआ कार्य है। उसके विक्रेता पूरी ईमानदारी निष्ठा से कर रहा है, किन्तु आज दिनांक तक शासन द्वारा उचित वेतन नही दिया गया, जिससे आज कर्मचारियों का भूखो मरने की स्थिति निर्मित हो रही है। अत: इस मंहगाई के सूचकांत को देखते हुए विक्रेता का वेतन कम से कम २५ हजार रूपए मासिक वेतन दिए जाने, शासकीय दुकान संचालन में आ रहे खर्चे जिसमें तुलावटि का खर्च विक्रेताओं के उपर अतिरिक्त भार है। विक्रेता अपने वेतन से तुलावटि को परिश्रमिक देता है। पीओएस मशीन में लगने वाला पेपर रोल उसके संचालन में नेट रिचार्ज का भी खर्च विक्रेता अपने वेतन से करता है। अत: उपरोक्त खर्च शासन व संस्था द्वारा प्रदाय किए जाए, उचित मूल्य दुकानो में जो खाद्यान्न वितरण हेतु प्राप्त होता है वह हितग्राहियों को वितरण के दौरान लगभग तीन से चार प्रतिशत तक घटती आ रही है जो विक्रेता के ऊपर गबन खयानत के रूप में डाल दिया जाता है। जो पूर्ण रूप से कर्मचारियों का मानसिक शोषण है। जो पूर्ण रूप से कर्मचारियो का मानसिक शोषण है, अत: तत्काल इस संबंध में उचित प्रयास करते हुए घटती को शासन द्वारा खाद्यान्न प्रदाय कराया जाए, वर्तमान में समितियों में कार्यरत कर्मचारी जो सेवा नियम २०१३ के बाद संस्था द्वारा अपने कार्य संचालन हेतु नियुक्त किया गया है उन्हे शासन स्तर पर निकाला जा रहा है उन्हे तत्काल समितियों में वापस पदस्थ किए जाए, आयुक्त महोदय सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाए म.प्र. भोपाल द्वारा कैडर व्यवस्था के तहत संस्था के समस्त कर्मचारियों को योग्यता एवं वरिष्ठता के आधार पर कैडर व्यवस्था में शामिल किया जाए, शासन द्वारा विक्रेता का बीमा कराया जाए जिससे विक्रेता का जीवन सुरक्षित हो। 


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