किसानों के लिए मुसीबत बनी बारिश, दलहनी और तिलहनी फसल हो गई बर्बाद

रिमझिम बारिश बनी किसानों की मुसीबत,मंडराया खतरा,२४ घंटे बारिश की सम्भावना दलहनी और तिलहनी फसलें हो सकती है प्रभावित,कृषि विभाग ने किसानों को बचाव की दी सलाह 



अनूपपुर। ३१ दिसम्बर की रात से लगातार बारिश का सिलसिला बना हुआ है। और सम्भावना जताई जा रही है कि अभी और बारिश की बौछार धरती को भिंगोएगी। यह बारिश जिले के समस्त हिस्सों अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा, पसान, बिजुरी और अमरकंटक में एक सामान्य रूप में बरस रही है, जिसमें कहीं ज्यादा तो कहीं कम बौछारें हैं। जिसके कारण अब गलनभरी ठंडक का माहौल बनी है। आसमान काले बादलों की चादर से ढकी है जिसमें सूर्यदेव का दर्शन पिछले तीन दिनों से नहीं हो सका है। तीन दिनों तक होने वाली बारिश से रबी की फसलों पर पाला का खतरा मंडराने लगा है। इस पाले के प्रकोप से दलहनी खासकर तुअर, मटर, मसूर, चना सहित तिलहनी फसल सरसों की फसल को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। अधीक्षक भू-अभिलेख कार्यालय एसएस मिश्रा ने बताया कि ३१ की शाम से आरम्भ हुए बारिश से २ जनवरी की शाम तक जिले में अनुमानित औसत बारिश २०.१ मिमी बताई गई है। बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दवाब और पश्चिमी विक्षोभ में हाल के दिनों में मौसम में आए बदलाव के कारण यह बारिश होना माना गया है। इसमें मौसम विभाग ने अभी २४ घंटे बारिश होने की आशंका जताई है। जिसमें तीसरे दिन बारिश के दौर जारी है,हवाओं में नमी अधिक बढ़ गई है और ठंडक गलन वाली महसूस की जा रही है। इस बारिश से खेतों में पाला पडऩे की सम्भावना अधिक बन गई है, इससे तुअर, मटर, मसूर व सरसों को नुकसान पहुंच सकता है। अभी आसमान में काले बादल छाए रहेंगे और बारिश निरंतर बनी रहेगी। अनूपपुर का दिन का अधिकतम तापमान १९ डिग्री तथा न्यूनतम १३ डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है। जबकि अमकरंटक में अधिकतम तापमान १६ डिग्री तथा न्यूनतम १०डिग्री आंका गया है। कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार जिले में इस वर्ष रबी फसल के लिए ६३.३१ हजार हेक्टेयर भूमि लक्षित की गई है। जिसमें २२ हजार हेक्टेयर पर गेहूं, जौ व अन्य अनाज फसल ८० हेक्टेयर, चना १० हजार हेक्टेयर, मटर २ हजार हेक्टेयर, मसूर १५ हजार हेक्टेयर, अन्य दलहनी फसल २२० हेक्टेयर, सरसों ८ हजार हेक्टेयर, अलसी ६ हजार हेक्टेयर, तथा गन्ना १० हेक्टेयर निर्धारित की गई है। इनमें दलहनी और तिलहनी जैसी फसल पुष्पराजगढ़ विकासखंड में सर्वाधित की जाती है। लेकिन अमरकंटक क्षेत्र से सटे और पठारी क्षेत्र होने के कारण पुष्पराजगढ़ में ठंडक के दौरान पाला का असर भी इन क्षेत्रों में ही सर्वाधित चिह्नित की जाती रही है। जिसके कारण मौसम के बदले मिजाज में यह बारिश किसानों के लिए ंचिंता का सबब बनी हुई है। किसानों का कहना है कि खरीफ में शुरूआती मानसून की विलम्बता में विलम्ब से बोवनी हुई खरीफ फसल से किसानों को अभी राहत नहीं मिली थी कि रबी में अब तैयारी के कगार पर पहुंचे दलहनी और तिलहनी के साथ नगदी आलू, बैगन, सेम जैसे सब्जियों पर पाला की मार किसानों का कमर तोड़ देगी। 
कृषि विभाग ने जारी की सामयिक सलाह
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास एनडी गुप्ता ने बताया कि शाम के समय आसमान साफ हो, हवा शांत हो एवं तापमान में कमी के साथ गलावट बढ़ रही हो तो तय मान लें कि उस रात पाला पडऩे वाला है। पाले के प्रति अति संवेदनशील फसल अरहर, मसूर, मटर, टमाटर, बैगन एवं आलू हैं। फसलों को पाले से बचाने के लिए सर्व प्रथम हल्की सिचाई करें तथा रात 10 बजे के बाद खेत के उत्तर एवं पश्चिम दिशा की मेडों पर धुंआ करें। जैविक नियंत्रण के लिए 500 मिली. ताजा गोमूत्र अथवा 500 मिली. गाय के दूध को प्रति पम्प (15 लीटर पानी) की दर से घोल बनाकर पाले से पूर्व फसल पर छिडकाव करें। स्थायी समाधान के लिए खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायुरोधक वृक्षों की बाड़ तैयार कर पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है।  
२४ घंटे में जिलें में वर्षा 
अधीक्षक भू-अभिलेख एस.एस.मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जिले में बीते २४ घंटे में २०.१ मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई। इसमें अमरकंटक में सर्वाधिक ४० मिलीमीटर ,वेंकटनगर में २६,कोतमा में २५,अनूपपुर १०.५,जैतहरी १७.६,पुष्पराजगढ़ २५.४, बिजुरी १२.८ एवं सबसे कम बेनीबारी में ४ मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।  


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