कोरोना संकट से  के लिए  देश मे गुनाहगार कौन.. ....शयाम नारायण


इस समय पूरा विश्व, आज तक के इतिहास मे सबसे बडे संकट के दौर से गुजर रहा है।ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि हम कहाँ है ।देश में घटित होने वाली कुछ घटनाएं विचलित कर देने वाली है ।तो प्रश्न यह है कि इसका गुनाहगार कौन है । जिन्होंने गुनाह किया वे तो गुनाहगार हैं ही ,असली गुनाहगार वे हैं ,जिन्होंने उनके दिमाग में इस प्रकार के जहर को बोने का काम किया ।पर क्या हम गुनाहगार नहीं है । हम से मेरा तात्पर्य उस समूह से है जो शिक्षा के क्षेत्र से जुडे हैं ,समाज को धार्मिक , राजनैतिक, नैतिक शिक्षा देते हैं  व प्रबुद्ध वर्ग से है आते हैं ।हमारे लिए कितने शर्म की बात है कि हमारे ही बीच के कुछ लोग उन पर पत्थर उठा रहे हैं , उन पर लाठी डन्डे वरसा  रहे हैं जो रात ,दिन जी जान से मानवता की सेवा में लगें हुये है । अरे समाज के लिए यह डूब मरने वाली बात है । सर्वे भवन्तु सुखन: की बात करने वाले भारत के छवि की पूरे विश्व विरादरी मे कितनी किरकिरी हो रही है । आज जबकि इन्सान का अस्तित्व ही संकट में है तब  हमारा कर्तव्य बनता है कि हम भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसमें सहभागी बने  ।यह समय शासन प्रशासन की आलोचना करने का नहीं है उनके साथ खडे होने का है ।जीवन मे देश भक्ति का,समाज सेवा का  इससे बडा मौका शायद ही दुबारा मिले । शासन, प्रशासन तो दिन रात मानव जीवन को बचाने में लगा है ।  शासन प्रशासन मे बैठे हुए लोग , स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, मीडिया विभाग, व्यापारी वर्ग, दूध, सब्जी, फल,दवा, आवश्यक वाहन चालक, देश में लगातार उर्जा उपलब्ध कराने वाले कर्मचारी, सफाई विभाग में लगे लोग , विभिन्न धार्मिक व स्वयं सेवी संस्थान सब देश सेवा के इस यज्ञ में अपनी, अपनी आहूति दे रहे हैं ।पर हम कहाँ खडे है  अरे ये आवश्यक नहीं है कि हम मैदान में जाकर ही सहयोग कर सकते हैं । हम जहाँ हैं वहीं से सहयोग कर सकते हैं । कहते हैं कि शिक्षक समाज की रीढ़ होता है तो फिर हमारी भूमिका तो सबसे अहम है ,तो फिर क्या कारण है कि समाज के कुछ लोगों को हम यह नहीं समझा पाये कि डाक्टर तो धरती मे भगवान के स्वरूप होते हैं । उन्हें डाक्टर मे अपना दुश्मन नजर कैसे आने लगा । आज घर मे,मंदिर में, मस्जिद में, चर्च में, गुरूद्वारे मे बैठा हुआ शिक्षक जिसकी पहुंच समाज के कोने कोने तक है यह उनको क्यों नहीं समझा पाये ।और अर्धशिक्षित अधकचरे, गवार जो सोसल मीडिया मे लगातार नकारात्मक ,अज्ञानता पूर्ण, मूर्खतापूर्ण ज्ञान परोसते है वे समझाने में सफल रहे कि डॉक्टर आपके दुश्मन हैं वे आऐंगे और तुम्हारे लिए कोरोना का इन्जेक्शन लगाऐंगे। और इस पर उन्होंने भरोसा कर लिया  । ऐसे में हम सबकी जवावदारी बनतीं है कि हम उन नकारात्मक सोच से उनको बचाऐं ।गुनाह करनेवाला तो गुनाहगार है ही, गुनाहों पर पर्दा डालने वाले भी उतने ही गुनाह गार है । ऐ सब इन्सानियत के दुश्मन है ।आज की परिस्थितियों में हमें किसी भी घटना को केवल इन्सानियत की नजर से देखना चाहिए कोई भी कृत्य यदि इन्सानियत के खिलाफ है तो उसका समर्थन कतई नहीं किया जाना चाहिए । हमें सलेक्टिव नहीं होना है कि जो हमें सूट करता है वह सही और जो सूट नहीं करता वो गलत ।एक छोटी सी चिडिया जो अपने चोच मे पानी भर कर लाती है तथा लगी हुई आग को, बुझाने का कार्य करती है एवं पूछने पर यह कहती है कि मैं यह जानती हूँ कि मैं आग तो नहीं बुझा पाऊगी पर मुझे संतोष रहेगा कि मैंने इसके लिए प्रयास तो किया । ऐसे में मेरा निवेदन है कि हम जहाँ भी है, जैसे भी है ,वहीं छोटी चिडिया की तरह सकारात्मक प्रयास तो कर ही सकते है । समाज में सकारात्मक सोच,  सकारात्मक वातावरण तैयार करने में सहयोग करें ।केवल शासन प्रशासन का मुंह न ताकें ।यदि सहयोग नहीं कर सकते तो असहयोग भी न करें ।नहीं तो आने वाला इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा ।ऐसा नहीं है कि यह भयावह संकट हमेशा के लिए है, आज नहीं तो कल देश और विश्व इससे उबर जाऐगा । और वह बताऐगा कि जब देश संकट के उस दौर से गुजर रहा था तो हम कहाँ खडे थे ।


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