पानी से लबालब भरे तालाबनुमा गड्ढे में संचालित नापतौल एवं निर्माणाधीन जिला आयुष अस्पताल  स्वच्छ, सुदंर व सुगढ़ की परिकल्पना, जिले में दो विभाग बने मनमोहक दृश्य के आकर्षण का केन्द्र

अमित शुक्ला :-
प्राकृति सौदर्यता के बीच बसे अनूपपुर जिला हमेशा से वादियों की सुंदरता व मनमोहकता के नाम पहचानी जाती है, जहां पहाड़, हरे-भरे पेड़ पौधे, नदियां, झरने आकर्षण का केन्द्र है। इसी परिकल्पना के आधार पर जिला मुख्यालय अनूपपुर भी इसी आकर्षण से कम नही, जहां प्रशासनिक क्षमता ही क्यो न कहा जाए जहां बरसात के दिनो में यह जिला मुख्यालय आकर्षण का केन्द्र बन जाता है, जिले सहित बाहर से आने वाले राहगीर इस आकर्षण के केन्द्र को देखते ही संयुक्त कलेक्ट्रेट के बगल में रूक कर कुछ देर आनंद लेते है और इस आंनद का जिला प्रशासन को कई तरीको से धन्यवाद भी ज्ञापित करते है। इस आकर्षण केन्द्र में एक नाव और चार चांद लगा सकती है, जो लोगो को आनंद का लुफ्त उठाने के साथ अधिकारी कर्मचारी अपने कार्यालय से आना जाना भी कर सकते है। वहीं लोगो के इस धन्यवाद पर जिले के कुशल अधिकारियों व उपयंत्रियो की भी खूब सराहना की जा रही है। इतना ही नही नापतौल विभाग तक जाने के लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा 12.5 लाख की लागत से बनाई गई रोड व पुलिया के डूबे होने पर लोगो की नजर तालाबनुमा गड्ढे में भरे पानी के बीच उसे निहारती व खोजती है।



अनूपपुर। वर्ष 2003 में अनूपपुर के जिला बनने के बाद वर्ष 2014 में संयुक्त कलेक्ट्रेट के बगल से नापतौल विभाग के कार्यालय भवन का निर्माण किया गया था, तब से लेकर आज तक हर बरसात में ये कार्यालय आकर्षण के लिए सुर्खियों में रहा है। कुछ वर्षो तक तो बिना रास्ते के ही नाप तौल कार्यालय में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी अपने कार्यालय पहुंचने के लिए इन तालाबनुमा गड्ढो में भरे पानी के बीच से होकर पहुंचते रहे है। लेकिन बाद में इस कार्यालय तक पहुंचने के लिए सांसद निधि से 12.5 लाख रूपए स्वीकृत कर खनिज विभाग के पीछे पीडब्ल्यूडी द्वारा नए मार्ग व एक पुलिया का निर्माण किया गया, जिससे नापतौल विभाग के कार्यालय पहुंचने वाले लोगो को परेशानी न हो, लेकिन गजब तो तब हुआ जब इस मार्ग से बारिश के दिनो को छोड़कर बाकी दिन ही जाया जा सकता है।


निर्माणाधीन आयुष अस्पताल भी अनोखा 



वैसे तो वर्ष 2014 से सुर्खियो में रहा नापतौल विभाग के कार्यालय के बाद अब ठीक उसके सामने बन रहे निर्माणाधीन जिला आयुष अस्पताल का भी नजारा बारिश में कुछ एैसा ही होगा। तालाबनुमा गड्ढे में भरे पानी के बीच अधूरा निर्माण के खड़े इस अस्पताल की गुणवत्ता कितनी अच्छी होगी यह तो सभी जानते ही है। लेकिन मजाल है की प्रशासन इन तालाबनुमा गड्ढो में भरे पानी को निकालने के लिए कोई कार्ययोजना बनाए। वैसे भी अधिक बारिश में 18 लाख की लागत से बने खनिज विभाग के कार्यालय को भी हम पीछे नही छोड़ सकते। जहां तेज बारिश में कुछ समय के लिए ही सही लेकिन तालाब के बीच तो यह कार्यालय भी पहुंच ही जाता है।


पानी में ढूंढे नही मिल रही रोड व पुलिया


लोक निर्माण विभाग द्वारा 25 लाख 24 हजार की लागत से वर्ष 2012 में जिला नापतौल का प्रयोगशाला सह कार्यालय बनाया गया और 28 जुलाई 2014 को नए भवन में इस कार्यालय का संचालन किया गया। कार्यालय के निर्माण के 7 वर्षो तक बिना पहुंच मार्ग के रही, वहीं जब सांसद निधि से इस कार्यालय तक पहुंचने के लिए 12.5 लाख की लागत से पीडब्ल्यूडी ने खनिज विभाग के पीछे से एप्रेच रोड व पुलिया प्रायवेट लैण्ड को अधिग्रहण कर बनाई गई, लेकिन आज रोड व पुलिया दोनो ही पानी में डूबी हुई है। वहीं जिलेवासियो को आज तक समझ नही आया कि पीडब्ल्यूडी के कार्यकुशल अधिकारियों द्वारा बनाई गई पुलिया का क्या औचित्य है। जिससे आमजन ने मान लिया की पीडब्ल्यूडी विभाग में पुलिया बनाने परिभाषा को शायद बदल दिया हो, जो पानी निकासी की जगह अब पानी में ही डूबे रहने के काम में आती हो।


रास्ता होते हुए रास्ता विहीन कार्यालय


पूर्व में जिला नापतौल विभाग एवं खनिज विभाग कार्यालय का भवन के चारो ओर पानी से घिरे होते थे, बाद में खनिज संपदाओं से भरे विभाग ने स्वयं ही अपने कार्यालयो के सामने के गड्ढो को खनिज संपदाओं से पाट लिया, वहीं मार्ग विहीन नापतौल विभाग को भी रास्ता मिल गया। लेकिन बारिश के समय में जहां नापतौल विभाग का रास्ता ही पानी में डूब जाता तो वहीं खनिज विभाग भी समर्शिबल पंप का प्रयोग कर मूर्ति विर्सजन के लिए बनाए गए अस्थाई कुंड में डाल पानी को सीधे सोन नदी में छोड़ा जाता, इतना गुणा गणित करने के तीन वर्षो बाद जिला प्रशासन ने खनिज विभाग के सामने से एक पुलिया निर्माण कर पानी को सीधे सोन नदी में उतारने की ओर कोई प्रयास नही किया गया है।



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