श्रम कानून की धज्जियां उड़ाता SECL हसदेव क्षेत्र, अधिकारियों व ठेकेदारों के बीच पिस रहा ठेका मजदूर

 


त्रिनेश मिश्रा:-


 भारत की सबसे बडी कोयला उत्पादन करने वाली भारत सरकार की महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड की सहयोगी कंपनी एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के प्रबंधन द्वारा समस्त श्रम कानूनों का उल्लघंन करते हुए ठेकेदारी प्रथा के तहत कार्यरत श्रमिकों के हितों को अनदेखा करते हुए महज अपने निजी स्वार्थ हेतु रिकार्डो में व्यापक तौर पर फर्जीवाडा किए जाने की शिकायत मिल रही है।


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के अंर्तगत विभिन्न खदानों में ठेकेदारी प्रथा के तहत कार्यरत श्रमिकों को उनके कार्य के एवज में पूरी मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया जाता है। जिसमें संबंधित ठेकेदार व अधिकारी की मिलिभगत जगजाहिर है। और नाही ठेकेदार या कंपनी द्वारा किसी ठेका मजदूर का बीमा ही किया जाता है जिससे किसी दुर्घटना के पश्चात उनके परिजनों को एक निश्चित राशि दी जा सके। प्रबंधन व ठेजेदार द्वारा एसईसीएल कंपनी को भी भारी मात्रा में चूना लगाया जा रहा है। श्रंमिकों की फर्जी हाजरी लगाने व उन्हें उनकी पूरी मजदूरी का भुगतान न करने का यह खेल एसईसीएल हसदेव क्षेत्र की कई खदानों में कई वर्षो से अनवरत जारी है। जोकि समाज और राष्ट्र के किसी भी वर्ग द्वारा किया गया यह कृत्य किसी भी प्रकार से क्षमा करने योग्य नही हैं। 


ठेका मजदूरों को नए दर से नहीं मिल रही मजदूरी


एसईसीएल में ठेका मजदूरों का वेज रिविजन समझौते के ग्यारह माह बाद भी लागू नहीं हुआ है। नए वेज पर अमल के लिए कोल इंडिया ने भी सर्कुलर जारी किया है। बावजूद इसके प्रबंधन रूचि नहीं ले रहा है। कोल इंडिया प्रबंधन और यूनियन के बीच कई दौर की बातचीत के बाद कोयला खदानों में काम करने वाले ठेका मजदूरों के लिए नया दर निर्धारित किया गया था। अकुशल कर्मचारियों को प्रतिदिन 787 रुपए और उच्च कुशल कामगार को न्यूनतम डेली वेज का भुगतान 877 रुपए देने की बात कही थी। यह सहमति सितंबर 2018 में दिल्ली की एक बैठक में बनी थी।लेकिन एसईसीएल सहित अन्य अनुषांगिक कंपनियों ने अमल नहीं किया। कोयला खदानों में काम करने वाले कर्मचारियों को प्रबंधन पुराने दर पर मजदूरी भुगतार कर रहा है। इससे यहां सैकड़ों ठेका मजदूर धोखाधड़ी एवं आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं। यहां ठेका मजदूरों को सुनियोजित ढंग से पुराने दर पर ही मजदूरी का भुगतान कर उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है।  ठेका मजदूरों की बायोमैट्रिक सिस्टम से हाजरी नहीं लगाए जाने से वे आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं। नए वेतन का समझौता 4 सितंबर 2018 से लागू करने पर सहमति बनी थी। इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी के अलावा ठेका कामगारों को वीजीए और एसडीए का लाभ भी मिलना निर्धारित किया गया था।


ऐसे हो रहे ठेका मजदूर शोषण के शिकार


मिली जानकारी के अनुसार एसईसीएल के हसदेव क्षेत्र में कार्यरत ठेका मजदूरों को आज भी 400 रुपये प्रतिदिन की दर से मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। अधिकांश ठेकेदारों द्वारा ठेका कामगारों से महीने में मात्र 10 से 12 दिन ही काम करा कर गड़बड़ी करने के लिए उनका कार्य दिन प्रतिमाह 26 से 30 दिन दर्शाया जाता है। और ठेकेदारों और एसईसीएल प्रबंधन द्वारा ठेका मजदूरों को प्रतिमाह 10 से 12 दिन की राशि भुगतान कर शेष राशि स्वयं रख ली जाती है। इसका विरोध करने पर ठेका मजदूरों को कार्य से हटाने की धमकी दी जाती है या हटा दिया जाता है। जिसकी जांच किए जाने की आवश्यकता है। यदि एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के अंर्तगत उपरोक्त मामले की चीफ विजिलेंस अधिकारी से जांच कराई जाए तो भारी मात्रा में किए जा रहे भ्रष्टाचार उजागर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।


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