राजनगर में ठप पड़ी मोबाइल इंटरनेट सेवा, परेशान होते उपभोक्ता

 



भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट यूजरबेस वाले देशों में शामिल हो गया है। स्मार्टफोन्स पर इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के बाद टेलिकॉम इंडस्ट्री में हुए कई बदलावों के अलावा इसके लिए 4G टेक्नॉलजी को भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है। महंगी होती यह 4G टेक्नोलॉजी अब छलावा बन कर रह गई है क्योंकि यूजर्स को मिलने वाला 4G कई जगह 3G से भी बुरी स्पीड दे रहा है। 


 


*4G स्पीड के नाम पर मिल रहा धोखा, छले जा रहे हैं यूजर*


 


राजनगर क्षेत्र के अंतर्गत सभी नेटवर्क होने के बाद भी यहां इंटरनेट स्पीड का हाल 3G नेटवर्क से भी बुरा है। जिससे राजनगर, डूमरकछार व डोला नगर पंचायतों के उपभोक्ताओं में मोबाइल नेटवर्क व इंटरनेट स्पीड के प्रति रोष व्याप्त है। 4G का नेटवर्क और डाटा की स्पीड नहीं मिल पाने के कारण अब उपभोक्ता जाए तो जाए कहाँ? बीएसएनल व अन्य कंपनियां रिलायंस जिओ, एयरटेल और आईडिया बाजार में 4G नेटवर्क और डाटा स्पीड के नाम पर लूट मचा रही हैं इंटरनेट स्पीड के नाम पर सब उपभोक्ताओं को ठग रहे हैं टेलीकॉम कंपनियां। उपभोक्ता बीजेपी नेता विकास प्रताप सिंह ने बताया कि मैंने 4G हाई स्पीड डाटा प्लान रिचार्ज करा रखा हैं। परंतु यहाँ 3G स्पीड भी नही मिलने के कारण लैप्स हो जाता हैं।अब सवाल यह उठता है कि राजनगर क्षेत्र के उपभोक्ता की समस्या का समाधान किसके पास है। उपभोक्ता अपनी समस्या को लेकर जाएं तो जाएं कहां? टेलीकॉम नियामक कंपनी ट्राई बनी तो है लेकिन वह आम उपभोक्ताओं की पहुंच से कोसो दूर है 


मोबाइल इंटरनेट स्पीड की बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन आंकड़ों के जरिए हम आपको अगाह करना चाहते हैं कि भारत में करोड़ों यूजर इस स्कैम का शिकार हो रहे हैं। TRAI के मुताबिक 4G मोबाइल इंटरनेट की स्पीड कम से कम 10 Mbps होनी चाहिए। यह स्पीड अधिकतम 50 Mbps तक हो सकती है। 3G कनेक्शन की बात करें तो Mobile internet speed कम से कम 3.6 Mbps होनी चाहिए जबकि अधिकतम स्पीड 21 Mbps तक हो सकती है। TRAI की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आधे इंटरनेट यूजर को मुश्किल से 1 Mbps की स्पीड मिल पाती है। ऐसे में 4G और 3G के नाम पर देश के करोड़ मोबाइल इंटरनेट यूजर को टेलीकॉम (टेलीकॉम) कंपनियां धोखा दे रही है। मोबाइल इंटरनेट स्पीड के लिहाज से भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है


टेलिकॉम ऑपरेटर्स अपनी नेटवर्क स्पीड और टेक्नॉलजी के लिए 3G या 4G का इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां 'G' का मतलब जेनरेशन है, यानी कि 3G और 4G तीसरी पीढ़ी और चौथी पीढ़ी की इंटरनेट टेक्नॉलजी और डेटा स्पीड से जुड़े हैं। जिस तरह कंप्यूटर का कई जेनरेशन में डिवेलपमेंट हुआ और अबेकस जैसे डिवाइसेज से शुरू होकर अब जेब में आने वाले कंप्यूटर तैयार हुए हैं, इसी तरह मोबाइल ब्रॉडबैंड टेक्नॉलजी का भी कई चरणों में विकास हुआ है। 


स्मार्टफोन की बेहतर होती टेक्नॉलजी का संबंध उसकी डाउनलोड और अपलोड स्पीड से भी है। ट्राई ने भारत में 3G कनेक्टिविटी की शुरुआत होने के साथ ही मिनिमम स्पीड तय करने से जुड़ा प्रस्ताव रखा था। इसके मुताबिक, 3G कनेक्शन के लिए मिनिमम स्पीड 1Mbps और 2G कनेक्शन के लिए कम से कम 56Kbps की स्पीड निर्धारित की गई थी। एक नजर मौजूदा पैमाने पर डालें तो हैरान रह जाएंगे कि 4G नेटवर्क भी इतनी स्पीड सभी यूजर्स को नहीं दे पा रहे हैं। औसत की बात करें तो 3G की स्टैंडर्ड स्पीड 384Kbps, 4G की स्टैंडर्ड स्पीड 100Mbps और 5G की स्टैंडर्ड स्पीड 1Gbps होनी चाहिए।


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