कड़वी बात :-
अनूपपुर / नगर पालिका परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम की मंचीय रुपरेखा और कथाकथित नगर के नेताओं का चाल, चरित्र और कथन आम जन मानस में चर्चा का विषय बन गया है । किसी भी भृष्टाचार को परिस्तिथिजन्य बता कर नगर का कोई भी वर्तमान या पूर्व जनप्रतिनिधि द्वारा न्याय संगत बताया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है । "दरअसल" का तकियाकलाम अब नही चलने वाला है । अपने भृमात्मक दुविधापूर्ण राजनीतिक पड़ाव पर पहुंचा नगर एक नेता तो आजकल अपनी राजनीतिक भट्ठी पर दो दो हांडी चढ़ा रखा है। एक हांडी में पार्टी का टिकिट है और दूसरे में निर्दलीय चुनाव लड़ने का दम्भ किन्तु यह तय है इनके किसी भी हांडी में दाल नही गलने वाली ।जनता अब अर्थहीन, आदर्शरहित, दिशाहीन लच्छेदार भाषाणों से ऊब चुकी है । आगामी नगर पालिका के चुनाव में नए उम्मीदवार पर जनता अधिक भरोसा करेगी । आगे के सरकारी कार्यक्रमों में दो नम्बर के चंदाखोर मंचासीन होंगे या सच्चे राम सेवक ,रामजी जानें ।
'''चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय,दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय'''