"विपक्ष" के पहले ही भाजपा, क्या ममता को "राष्ट्रीय नेत्री" बनाने जा रही है?

    भाजपा को पश्चिमी बंगाल में ही प्रत्येक तहसील स्तर पर इस राजनीतिक हिंसा के खिलाफ धरने पर बैठना चाहिए। हस्ताक्षर अभियान कर हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन प्रत्येक तहसील हेडक्वार्टर पर देना चाहिए और राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान प्रभावी रूप से आकर्षित करने के लिए चुने गए समस्त विधायक, सांसद और लड़ने वाले समस्त उम्मीदवारों के साथ शहीद हुए उन कार्यकर्ताओं के परिवारों के सदस्यों को राष्ट्रपति और राष्ट्रीय प्रेस के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए । ताकि देश को यह ज्ञात होता कि ममता  किस तरह की निर्दयी राजनीतिक हिंसा का सूत्रधार बनी हुई है।.......

जब राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा मीडिया से चर्चा करते हुए इस राष्ट्र व्यापी धरने की जानकारी देते हुए कह रहे थे कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरा पालन करते हुए पूरे देश में यह धरना प्रदर्शन किया जाएगा। तब दुर्भाग्यवश स्वयं नड्डा जी  प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे थे।मास्क  जरूर लगा था, लेकिन 6 फीट की मानव दूरी "6 इंच" (या कुछ ज्यादा) में बदल गई।...

राजीव खंडेलवाल :-  


     पश्चिम बंगाल में ममता की प्रभावी जीत के बाद लगभग "सुप्त विपक्ष" जागृत होकर ममता में अपनी "छवि" देखने की संभावनाएं जरूर  तलासेगा ? ये संकेत  राजनीति के गलियारों में जरूर मिल रहे है। परंतु विपक्ष  को इसका पूरा "श्रेय" न मिल जाए, तब इसे रोकने के लिए शायद भाजपा ने ही यह तय कर लिया है कि विपक्ष के पहले ही वह ममता की पहचान को "राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित" कर दें। कैसे!

                     पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम  के बाद हुई गंभीर हिंसक घटनाएं, लूटमार, आगजनी के फल स्वरूप भाजपा के 6 कार्यकर्ताओं की हुई हत्या से उत्पन्न "रोष' को व्यक्त करने और कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता के साथ पार्टी के खड़े होने के संदेश देने के लिए भाजपा ने आज राष्ट्रव्यापी धरना दिया। निश्चित रूप से संवेदनशील पार्टी नेतृत्व का यह दायित्व हो जाता है कि बंगाल में हुई वीभत्स हिंसक दुर्घटनाओं में शहीद हुए उनके छह कार्यकर्ताओं के साथ वह न केवल खड़ा रहे, बल्कि इस कारण से कार्यकर्ताओं के गिरते मनोबल व पलायन (पश्चिम बंगाल से) को रोकने के लिए वह एक कड़क और सार्थक कदम उठाए। परिणाम स्वरूप आज का राष्ट्रव्यापी धरना हुआ । 

            परंतु भाजपा नेतृत्व के पास उक्त उद्देश्य हेतु क्या यही एक मात्र विकल्प रह गया था? दूसरे अन्य  प्रभावशाली कदम उठाए नहीं जा सकते थे? प्रश्न यह इसलिए उठ रहा है कि भाजपा के इस कदम से दादागिरी से युक्त "बंगाल की नेत्री दीदी" रातो रात "राष्ट्रीय दीदी' बन गई। जब यह माना जाता है कि आज देश की सबसे मजबूत बड़ी राजनीतिक पार्टी जो  लगभग पूरे देश में विस्तारित है, तब  1 दिन धरने के आह्वान को प्रत्येक राज्य के कार्यकर्ता स्वीकार कर पालन करेंगे। ऐसी स्थिति में आज के धरने के कारण ममता बनर्जी का नाम व पहचान देश के कोने कोने में भाजपा  कार्यकर्ताओं द्वारा अनजाने में ही सही फैला दी गई है। भाजपा के कई कार्यकर्ताओं और  नेताओं (पंडित  दीनदयाल  उपाध्याय की हत्या के मामले को छोड़कर) की पूर्व में भी विभिन्न राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश में दुखद राजनीतिक हत्याएं हुई है। लेकिन कभी भी कार्यकर्ताओं की राजनैतिक हत्या के मामलों को उसी प्रदेश में ही आंदोलित (एजिटेटे) किया गया और पार्टी द्वारा राष्ट्रवादी मुद्दा कभी नहीं बनाया गया।

            पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में भाजपा की पहली गलती यह हुई की पश्चिमी बंगाल मैं भाजपा का चुनाव प्रचार  इस तरह से रहा  कि  चुनाव प्रचार "मोदी विरुद्ध ममता  (एम वर्सेस एम) बन गया । इस कारण से नरेंद्र मोदी के  एकमात्र लोकप्रिय प्रभावी राष्ट्रीय व्यक्तित्व होने के कारण उनके सामने ममता को खड़ा कर (विपक्ष ने नहीं) भाजपा ने ही  ममता को पश्चिम  बंगाल का  सबसे मजबूत राष्ट्रीय नेत्री बनाने में अनजाने में ही सही, सहयोग  किया । यदि यह चुनाव प्रचार ममता विरुद्ध प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष अथवा ममता के बाएं हाथ रहे भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी के बीच "केंद्रित" कर भाजपा चुनाव प्रचार में नरेंद्र मोदी का भरपूर उपयोग करती तो ममता को वह "राष्ट्रीय स्टेटस" नहीं मिलता, जो नरेंद्र मोदी वर्सेस ममता के होने के कारण स्वभाविक रुप उन्हें मिल गया । दूसरी गलती भाजपा ने अब चुनाव के बाद की है, वह बंगाल में हुई  मार्मिक हिंसा के विरुद्ध देशव्यापी धरना , जो ममता को पश्चिम बंगाल से बाहर  निकाल कर अनजाने में ही उन्हें देश के राष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर पहचान दिला रही है।

             जहां तक चुनाव परिणाम के बाद हुई राजनीतिक हिंसा का प्रश्न है, यह बंगाल का आज का चरित्र नहीं है, बल्कि सिद्धार्थ शंकर रे के मुख्यमंत्री रहते हुए उस जमाने से, वाममोर्चा सरकार  से होता हुआ टीएमसी  में चला आ रहा है। यह हिंसा  पहली बार नहीं हुयी है। यदि चुनाव परिणाम के तुरंत 4 महीने  पूर्व से राजनीतिक हिंसा में मरने वालों के आंकड़े पर गौर करें तो वह 200 से भी अधिक हो जाता हैं । इनमें भाजपा के डेढ़ सौ से अधिक निर्दोष मासूम कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है। ततसमय चुनाव आचार संहिता लागू होने के पूर्व यदि राज्यपाल जो बार-बार प्रेस में  खराब कानून व्यवस्था की स्थिति का बखान कर रहे थे, लेकिन यदि उस आधार पर वे  राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भेजकर केंद्र उसे स्वीकार कर लागू कर देता तो, निश्चित रूप से भाजपा की राजनीतिक हत्याओं के विरुद्ध यह सार्थक लड़ाई कहलाती । तब शायद आप को देशव्यापी प्रदर्शन करने का निर्णय नहीं लेना पड़ता? वास्तव में यह भाजपा का सेल्फ (आत्मघाती) गोल समान ही है।

            इस गलती से  उभरने के लिए भाजपा नेतृत्व को अपने कार्यकर्ताओं को पश्चिमी बंगाल में ही प्रत्येक तहसील स्तर पर इस राजनीतिक हिंसा के खिलाफ धरने पर  बैठने के निर्देश देना चाहिए। हस्ताक्षर अभियान कर हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन प्रत्येक तहसील हेडक्वार्टर पर देना चाहिए। स्थिति न सुधारने पर  राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए यह  हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन एक महत्वपूर्ण आधार सिद्ध हो सकता है। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान प्रभावी रूप से आकर्षित करने के लिए चुने गए समस्त विधायक, सांसद और लड़ने वाले समस्त उम्मीदवारों के साथ शहीद हुए उन कार्यकर्ताओं के परिवारों के सदस्यों को राष्ट्रपति और राष्ट्रीय प्रेस के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए । ताकि देश को यह ज्ञात होता कि ममता  किस तरह की निर्दयी राजनीतिक हिंसा का सूत्रधार बनी हुई है। यह प्रभावशाली विरोध अभी भी पूरी तैयारी के साथ किया जा सकता है।

                अंत में एक बात और! जब राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा मीडिया से चर्चा करते हुए इस राष्ट्र व्यापी धरने की जानकारी देते हुए कह रहे थे कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरा पालन करते हुए पूरे देश में यह धरना प्रदर्शन किया जाएगा। तब दुर्भाग्यवश स्वयं नड्डा जी  प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे थे। मास्क  जरूर लगा था, लेकिन 6 फीट की मानव दूरी "6 इंच" (या कुछ ज्यादा) में बदल गई। तब जमीनी धरातल पर कार्यकर्ताओं के स्तर पर कोविड- 19 प्रोटोकॉल का कितना पालन हुआ होगा, यह समझा जा सकता है। इस कारण से भी इस आपदा काल में ऐसे  गैर जरूरी  निर्णयों से  बचा जाना चाहिए जो एपिडेमिक स्थिति को बढ़ा सकते हैं।

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