जमीनी स्तर मे कार्य कर रहे पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर क्यों नहीं- राजेश पयासी


  अनूपपुर /  विगत दिनों  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  अधिमान्य पत्रकारों को  फ्रंटलाइन वर्कर  घोषित कर  यह साबित कर दिए हैं कि  क्षेत्र में  व्याप्त अराजकता , भ्रष्टाचार,  आर्थिक अनियमितता , घोषणाओं पर अमल ना होना , हितग्राही मूलक योजनाओं , मूलभूत सुविधाओं का क्रियान्वयन न होना जिसके चलते जनता जहां प्रदेश में त्राहिमाम कर रही है वहीं उसका संदेश  जब  क्षेत्र में  कार्य कर रहे  स्थानीय पत्रकार  उस आवाज को शासन, प्रशासन, एवं जनता तक पहुंचाते हैं  तो  शायद  सूबे के मुखिया को  यह अच्छा ना लगा हो  जिसके चलते  बंद कोठरी में बैठे  अधिमान्य पत्रकारों को  खुश करने के लिए  फेंट लाइन वर्कर का दर्जा दिया गया है  कारण की  जनता की आवाज को शासन-प्रशासन  तक पहुंचाना  हकीकत को  जनता तक पहुंचाना  सुबे के मुखिया  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अच्छा ना लगता हो  जिसके चलते उन्होंने  मध्यप्रदेश में  पत्रकारों  को आपस में फूट डालकर  पत्रकारिता जगत में भी  फूट डालो और राज्य शासन करो की नीति अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है  कारण की प्रदेश के जमीनी हकीकत  को शासन-प्रशासन आम जनो तक पहुंचाने का कार्य क्षेत्र के अन्य पत्रकार ही करते हैं जो शासन प्रशासन के लिए गले की फांस बने रहते हैं उक्त आरोप अनूपपुर जिले के वरिष्ठ पत्रकार राजेश पयासी ने लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के  यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  विगत दिनों  अधिमान्य पत्रकारों को  फ्रेंटलाइन वर्कर का दर्जा देकर  पत्रकारों को  लाभ दिलाएं या न दिलाएं  लेकिन मध्यप्रदेश के  हजारों पत्रकारों से  उन्होंने  आपसी मतभेद कराने में  खरे साबित हुए हैं।कोरोना महामारी के बीच अपनी कलम लेकर मोर्चे पर डटे अधिमान्य पत्रकारों के लिए  विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रदेश सरकार की तरफ से राहत भरी खबर आई है। सूबे के मुखिया के इस साहसिक फैसले का हम स्वागत करते हैं। दरअसल पत्रकारों द्वारा लंबे अर्से से की जा रही मांग को  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पूरा कर दिया है।  उन्होनें ऐलान किया है कि हमने मप्र के सभी अधिमान्य पत्रकारों को फ्रंटलाईन वर्कर घोषित करने को फैसला किया है एवं उनका पूरा ध्यान रखा जाएगा।

 पत्रकार राजेश पयासीने  अब माननीय मुख्यमंत्री जी से सवाल है कि आपने सिर्फ अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही फ्रंटलाइन वर्कर क्यों माना है..? क्या प्रदेश में अन्य पत्रकार फील्ड पर कार्य नहीं कर रहे हैं? जबकि असलियत तो ये है कि, आज की विकट परिस्थिति में जमीनी स्तर के पत्रकार ही जान जोखिम में डालकर जमीनी स्तर की पत्रकारिता कर रहे हैं। फिर उनके साथ भेदभाव क्यों?

अपना जीवन जोखिम में डालकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार को फ्रंटलाइन वर्कर मानने से सरकार परहेज क्यों कर रही है..? 

मध्यप्रदेश में अधिकांश अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार मौजूदा वक्त में फील्ड पर कार्य नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अधिमान्य पत्रकारों को ही फ्रंटलाइन वर्कर मानना अन्य जमीनी पत्रकारों के साथ सौतेला व्यवहार है। 

 उन्होंने यह भी कहा है कि प्रदेश में अधिकतर ऐसे अधिमान्य पत्रकार है जिन्हें राजनीतिक रसूख के चलते अधिमान्यता मिली है। न तो वह किसी मीडिया संस्थान से जुड़े है और न ही उनका मीडिया से कोई संबंध है। ऐसे में जमीनी पत्रकारों को दरकिनार करना कहाँ का न्याय है...? 

माननीय मुख्यमंत्री जी आप मध्यप्रदेश में पत्रकारों के साथ फूट डालने का काम कर रहे हैं। और अगर यह सत्य नहीं है तो आप बताएं कि अभी तक प्रदेश में कोविड के कारण कितने अधिमान्य पत्रकारों की मौत हुई है..? और उन्हें आपकी सरकार की तरफ से कितनी आर्थिक सहायता दी गई है...? 

सरकार को यह बात याद दिलाने की आवश्यकता नहीं कि प्रदेश में केवल अधिमान्य पत्रकार ही फील्ड पर वर्क करते हैं बल्कि अन्य पत्रकार भी कार्य करते है। लेकिन सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं को लाभ अधिमान्य पत्रकारों को ही क्यों..? 

प्रदेशभर में सिर्फ अधिमान्य पत्रकार ही काम नहीं कर रहे हैं बल्कि अन्य पत्रकार भी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से जनसेवा कर रहे हैं। फिर सरकार उन्हें अनदेखा क्यों कर रही है?अधिमान्यता जैसी शर्त रखना, छोटे मझोले, जिला व तहसील स्तर के पत्रकार साथीयों के साथ भेदभाव है। मप्र सरकार अधिमान्यता जैसी शर्त को खत्म करे क्योंकि जमीनीस्तर के पत्रकार ही आज की विकट परिस्थिति में डटे हुए हैं।  उल्लेखनीय है कि अधिकतर संभागों में अधिमान्यता के लिए ऐसे लोगों की टीम बनाई गई है जो आज भी  शुद्ध शब्दों मे अपना नाम नहीं लिख सकते ना ही पत्रकारिता जगत में कोई इबारत  लिख सकते उन्हें घर बैठे समाचार मिलता रहे वह अपना उल्लू सीधा करते रहें ऐसे लोगों को अधिमान्यता की टीम में रखकर चाटुकारिता करने वाले लोगों को अधिमान्यता का दर्जा दिलाया गया है जो जांच का विषय है। प्रदेश के जिला स्तरीय, ब्लॉक ,शहरी ,तहसील, ग्रामीण क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रदेश के लाखों पत्रकारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग किए हैं कि जो कई वर्षों से जमीनी हकीकत में उतर कर पत्रकारिता का कार्य कर रहे हैं उन्हें भी फ्रंटलाइन वर्कर एवं शासन की अन्य योजनाओं से जोड़ा जाए।

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