क्या ‘‘कांग्रेस’’ ‘‘भाजपा’’ से ‘‘बड़ी’’ नहीं हो गई है?

 राजीव खण्डेलवाल


                                   

       निसंदेह विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ही है। फिर चाहे सदस्य संख्या की दृष्टि से हो, अथवा विश्व का सबसे बड़ा लोकंतात्रिक देश भारत पर शासन करने की दृष्टि से। देश में केन्द्र व राज्यों में कुल 16 (9़+7) राज्यों में वह स्वयं अथवा अपने सहयोगी दलों के साथ सत्ता पर काबिज है। लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि "सबसे ऊंची जाने वाली पतंग से ही सबसे ज़्यादा पेंच लड़ाये जाते हैं", अब कांग्रेस भाजपा को एक क्षेत्र में जरूर *पछाड़* रही है। 

              देश में आये नये कोरोना वैरिएंट "ओमीक्रॉन" को लेकर देश में अभी तक 23 ओमीक्रॉन कोरोना वैरीअंट से संक्रमितो की संख्या चिंहित हो चुकी है। कुछ के टेस्ट जारी है व उनकी रिपोर्ट आने की है। अभी तक विश्व के लगभग 50 देशों में ओमीक्रॅान फैल चुका है। भारत में पाये गये अभी तक कुल 23 संक्रमितों में से 19 महाराष्ट्र व राजस्थान प्रदेश में है। अर्थात 85% के लगभग संक्रमित कांग्रेस व सहयोगी शासित प्रदेशों में हैं। शेष 4 संक्रमित अन्य राज्यों में हैं। मतलब साफ है! कांग्रेस का ग्राफ इस क्षेत्र में बढ़ रहा है। इस "कीर्तिमान" के लिए कांग्रेसी सरकारों को आप बधाई क्यों नहीं देना चाहते है? वे राहुल गांधी ही तो थे जिन्होंने सबसे पहले प्रथम कोविड-19 के दौर में यह कहकर नरेन्द्र मोदी की आलोचना की थी कि अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट व उड़ानों को मोदी ने तुरंत क्यों नहीं बंद किया। किन्तु, "कालस्य कुटिला गति:"। अफ्रीका से यहां से आकर फैला ओमीक्रॉन को रोकने के लिए महाराष्ट्र व राजस्थान की सरकारों ने अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरने वाले यात्रियों को 14 दिन के अनिवार्य  क्वारेंन्टाईन में और कड़े नियंत्रण में सरकारी व्यवस्था में क्यों नहीं रखा? जब यह ओमीक्रॉन नामक नया कोविड वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका में पाया जाने की जानकारी सबको हो चुकी थी। उसके तुरंत बाद ही अफ्रीका से सीधे उड़ाने अथवा विश्व के अनेक देशों से होकर गुजरने वाली उड़ानों से उतरने वाले हवाई यात्रियों पर इन दोनों प्रदेशों की सरकारों ने प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया? किन्तु "कांग्रेस को नहिं दोष गुसाईं"। जो लोग सबसे आगे सबसे पहले आकर  यह कहकर चिल्लाते रहे कि मोदी ने कोई रोक नहीं लगाई है, वे अब चिल्लाने में क्यों *पिछड़ कर "चुप्पी साधने वालों की" संख्या में* आगे रह रहे हैं? क्या कांग्रेस को "रचनात्मक और सकारात्मक" रूप से कार्य करने में सबसे आगे आने का प्रयास करना ही नहीं आता है? सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक  दृष्टिकोण व नीति? इसीलिये मैं यह कहता हूं कि दिल को "दरिया के समान"  बड़ा कर कांग्रेस को इस उपलब्धि के लिये बधाई दीजिये। इससे अंततः ‘‘आपका’’ ही फायदा होना हैं?

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