आम जनता’’ के लिए बजट! परन्तु ‘‘आम’’ व्यक्ति गायब?

 क्या यह बजट सिर्फ 1%(मध्यमवर्ग) लोगों के लिए है?

     


 

       वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण संसद में पांचवी बार बजट पेश करते हुए जब वह आयकर की छूट के बाबत घोषणा कर रही थी, तब उन्होंने यह कहा कि मध्यमवर्ग (मीडियम क्लास) के लिए वह विशेष छूट लेकर आई हैं। बजट के पूर्व भी उन्होंने कहा था कि वह मिडिल क्लास की ही हैं और हमारी सरकार ने इन मिडिल क्लास पर कोई टैक्स नहीं लगाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी एक वीडियो के माध्यम से बजट पर जो प्रतिक्रिया दी है, उसमें कहा है कि मध्यमवर्ग एक बड़ी ताकत है जिन्हें सशक्त बनाने के लिए बीते वर्षो में अनेक निर्णय लिए गए है। हमेशा मध्यम वर्ग के साथ खड़े रहने वाली हमारी सरकार ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत प्रदान की है। बजट पर जो सामान्य प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही है, उनमें भी यही कहा जा रहा है कि मिडिल क्लास के लिए बजट में महत्वपूर्ण पर्याप्त (सब्सटेंशियल) राहत प्रदान की गई है। इसका प्रमुख कारण आयकर की कर योग्य आय की सीमा रुपए 500000 से बढ़ाकर रूपए 700000 कर देना है। सामान्य शब्दों में वार्षिक वित्तीय  विधेयक (बजट) को आम बजट कहते हैं। 

परन्तु ऐसा लगता है कि इस बार चुनावी वर्ष में बजट में से आम को हटा ही दिया गया है और पूरा का पूरा (नरेशन) मध्यम वर्ग पर केंद्रित हो गया है, जो देश की जनसंख्या का लगभग 25 से 30% है। सरचार्ज में कमी भी उच्च वर्ग के करदाताओं व कंपनियों को छूट प्रदान करती है, जो भी आम आदमी के बजाय उच्च मध्यम व उच्च वर्ग को ही नरेट करती है। आज इसका कारण यह है की वित्त मंत्री की नजर में अन्य सभी वर्गों को चुनावी दृष्टि से जितना देना चाहिए था, वह पूर्व में दिया जा चुका है। उदाहरणार्थ कोरोना काल से ही लगभग 80 करोड़ गरीब जनता को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। चूंकि देश की राजनीति का नरेटिव मध्यमवर्ग तय करता है, इसलिए चुनावी वर्ष में उसका ख्याल रखना ज्यादा जरूरी है। आखिर भारत में मध्यम वर्ग के अंतर्गत कौन आते हैं, इसकी भी थोड़ी सी विवेचना कर ले।

    भारत में ‘‘मध्यम वर्ग’’ वह कहलाता है, जिसके पास उच्च वर्ग समान समस्त सुविधाएं नहीं है साथ ही वह निम्न वर्ग समान समस्त सुविधाओं से वंचित न हो। वैसे मध्यम वर्ग को भी 3 क्लास में बांटा जा सकता है। प्रथम उच्च मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग। तेजी से बढ़ती भारत की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर भारत में मध्यम वर्ग का कार्य तेजी से बढ़ रहा है जो वर्ष 2009 में 3% थी वह वर्तमान में 2022 में 30% हो गई है। 2015 में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 26.40 करोड़ मध्यमवर्ग था। मध्यम वर्ग का देश की अर्जित आय में 50% खर्च में 68% में और बचत में 56% का प्रतिनिधित्व करता है। इस वर्ग में रुपए 500000 से लेकर 300000 की आय तक के लोगों को वर्गीकृत किया गया है, प्राइस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2047 तक मध्य वर्ग के 63% तक हो जाने की संभावना है।

136 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में आयकरदाता मात्र 5 प्रतिशत (8 करोड़ के लगभग) है। इनमें से भी कर देने वालों की संख्या मात्र 1% से कुछ ज्यादा ही है। तब बजट देखने का नजरिया मात्र 1% लोगों तक ही सीमित नहीं हो जाता है? तब इस स्थापित नजरिया में ही अन्य वर्गों के हितों के लिए कुछ करने का महत्वपूर्ण प्रश्न छिपा हुआ है? वैसे भी आम जनता जो करदाता भी नहीं है, बजट को आयकर की छूट की दृष्टि से और बहुत हुआ तो रेलवे और पेट्रोल उत्पाद पर करारोपण की दृष्टि से ही देखती है। शेष बजट से उसका कोई सरोकार नहीं रहता है। पेट्रोल उत्पाद तो आजकल बजट का विषय ही नहीं रह गया क्योंकि सरकार का तकनीकी रूपए से यह कहना होता है कि वह बाजार तय करता है। और रेलवे बजट जब से समाप्त हुआ है, तब से इस बजट में रेलवे के संबंध में सिवाय इस बात की घोषणा की 33% कैपिटल इन्वेस्टमेंट बढ़ाया है, और कुछ नहीं कहा गया है।

वैसे बजट को मापने और आकलन करने का सबसे महत्वपूर्ण बैरोमीटर स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक होता है जो बजट पेश करते ही 1000 से अधिक उच्च स्तर पर पहुंच कर अंततः  848 अंक का उछाल सूचकांक में पाया गया। इससे निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि भारत ही नहीं, विश्व के आर्थिक जगत ने इस बजट का आगे बढ़कर स्वागत कर रिस्पांस किया है। यह स्थिति तब और महत्वपूर्ण हो जाती है, जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट पाई गई और लगभग 4 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचा, जिस कारण से शेयर मार्केट में एक ड़र और मंदी की आशंका के बादल छाए हुए थे।

वित्त मंत्री का यह कथन समझ से परे है जब वे यह दावा करती है कि प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2014 की तुलना में आज दोगुना से ज्यादा हो गई है? यदि यह बात सही है तो क्या किसानों की भी आय दोगुना हो गई है जिसका संकल्प भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किया था। प्रति व्यक्ति में क्या किसान शामिल नहीं है? और यदि ऐसा है तब सरकार ने सदन में किसानों के प्रति यह उपलब्धि बताकर इसके लिए तालियां क्यों नहीं बजवाई?

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