पढ़ने के समय में छात्रावास में रह रहे छात्रो से हमेशा अधीक्षक करवाते है काम
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छात्र-छात्राओ को अपने भांजे व भांजियां मानकर उनका भविष्य संवारने के लिये नित नयी योजनाएं लागू कर उन्हें निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने मे डटे है तो वही आदिवासी उत्कृष्ट बालक छात्रावास अनूपपुर के अधीक्षक लाल सिंह राठौर के द्वारा परीक्षा के दौरान भी छात्रो से अन्य काम करवाने के साथ ही रोटी बनवाने में कोई कोर कसर नही छोड रहे है जो समय छात्रो को पढने के लिये अधीक्षक को देना चाहिये उस दौरान काम कर उनके भविष्य को अंधेरे में ढकेलने का प्रयास किया जा रहा है।
अनूपपुर। शिक्षा ही जीवन का मूल मंत्र है और इसलिये छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा देकर देश का भविष्य उज्जवल करने की सोच लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान उनकी पढाई में कोई बाधा नही आने देना चाहते है, लेकिन अनूपपुर में हकीकत इससे कोसों दूर तब होती दिखाई पडती है जब आदिवासी छात्रावास में रहकर पढने वाले छात्रो से वह भी परीक्षा के दौरान छात्रावास में विभिन्न कामो के साथ रोटी बनाने का कार्य अधीक्षक के द्वारा कराया जा रहा है। सोशल मीडिया में आदिवासी उत्कृष्ट बालक छात्रावास अनूपपुर के अधीक्षक लाल सिंह राठौर के द्वारा 2 मार्च को छात्रो से रोटी बनवाने व अन्य काम कराने का वीडियो वायरल हो रहा है जिसको लेकर अभिभावको ने नाराजगी जताते हुये छात्रावास अधीक्षक को निलंबित कियेे जाने की मांग की है।
कैसे संवरेगा छात्रावास के छात्रो का भविष्य
परीक्षा शब्द ही सुनने के बाद हरेक व्यक्ति अपने आप में व्यथित हो जाता है फिर विद्यार्थी वर्ष भर पढने के बाद परीक्षा के दौरान विषय विशेष के अध्ययन में कोई चूक न हो इसको लेकर अपना एक भी पल गंवाना नही चाहते लेकिन मजबूरी में उन्हें वह करना पडता है जो वह नही चाहते जबकि छात्रावास में बाकायदे रसोईया कार्यरत रहते है लेकिन सूत्रो की माने तो अधीक्षको के द्वारा अपनी जेब भरने के लिये छात्रावास में कार्य करने वालो को अनुपस्थित रखा जाता है और उनकी उपस्थिति भरकर वह रूपया डकार लिया जाता है। 2 मार्च को आदिवासी उत्कृष्ट बालक छात्रावास अनूपपुर में छात्रो से रोटी बनवाने व अन्य कार्य कराने का वीडियो सामने आने के बाद लगने लगा है कि छात्रावास में रहने वाले छात्रो का भविष्य कैसे संवरेगा यह तो उनकी मेहनत पर निर्भर है। क्योंकि अधीक्षक ने तो उनके भविष्य के साथ खिलवाड करने की शायद ठान ली है।