भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के सभी नागरिक हिंदू तथा समान पूर्वजों के वंशज – शोध छात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय

पूर्वजों को जानने का अधिकार विधेयक पेश करने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को भेजा गया प्राइवेट बिल का ड्राफ्ट



अनूपपुर। राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र, एबीवीपी विश्वविद्यालय इकाई के पूर्व अध्यक्ष एवं स्वावलंबी भारत अभियान में शहडोल जिला के युवा आयाम प्रमुख चिन्मय पांडे शोध शीर्षक “ॐ (एयुएम)” को पंजीकृत कराकर पीएचडी-रिसर्च कर रहे हैं। चिन्मय पांडे के पीएचडी सुपरवाइजर आचार्य (डॉ) विकास, अधिष्ठाता, संगणक विज्ञान तथा महाकौशल प्रांत संपर्क प्रमुख एवं शहडोल विभाग संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच है।  

चिन्मय पांडे ने बताया कि शोध छात्रों की यह नैतिक एवं राष्ट्रीय जिम्मेदारी बनती है कि वे राष्ट्रीय महत्व के विषय पर शोध करें। किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास एवं खुशहाली के लिए यह आवश्यक है कि राष्ट्र के नागरिकों आपसी सुमति हो। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने श्री रामचरितमानस की फिलॉसफी- “जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना”, “जानेसु संत अनंत समाना” तथा वसुधैव-कुटुंबकम को ध्यान में रखते हुए प्राइवेट बिल को ड्राफ्ट किया गया है। किसी भी देश के किसी भी नागरिक की पूजा पद्धति, धार्मिक आस्था एवं विश्वास को बिलकुल आहात नहीं करने एवं सभी पूजापद्धति के देवी-देवताओं, गॉड, संत को अनंत अर्थात भगवान विष्णु का अवतार समझकर उनका पूजन, स्मरण, सम्मान को सर्वोचित करना प्रस्तावित किया गया है।

क्या है ॐ - (एन्सेस्ट्रल यूनिफाइंग मेटावर्स (एयूएम))

एयूएम एक डिजिटल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में की गई है, जिसमें 5000 वर्ष पूर्व तक के पूर्वजों का गौरवशाली इतिहास , 25 पीढियो का वंशावली, पूर्वजों के नाम, संबंध, पैतृक ज्ञान, परंपराओं, गौरवशाली इतिहास और प्रथाओं का एक डिजिटल भंडार प्रदान सबके विकास करने वाला सेतु बनेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, विज्ञान,नवाचार, शासन और नेतृत्व सहित आधुनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में पैतृक ज्ञान को स्वीकार करना, संरक्षित करना और बढ़ावा देगा। यह ऐतिहासिक कानून हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य को एक एक प्लेटफार्म प्रदान करेगा। पैतृक ज्ञान में रुचि रखने वाले विद्वानों, वंशावली लेखकों, अभ्यासकर्ताओं और नागरिकों के बीच अनुसंधान और सहयोग की सुविधा, एक-भारत-श्रेष्ठ-भारत, आनुवांशिक विकार / बीमारियों के नियंत्रण में पैतृक स्वास्थ्य-चिकित्सा प्रथाओं से पारिवारिक खुशहाली, पूर्वजों के आजीविका, स्वावलंबन एवं परंपरागत कार्यों का विश्लेषण एवं नवाचार के माध्यम से रोजगार को बढ़ावा देने का कार्य करेगा। पूर्वजों के पारंपरिक भोजन पद्धति, मोटा अनाज के उपयोग, आयुष सलाद का उपयोग एवं पोषण पद्धति, आहार से स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के साथ पारंपरिक कृषि पद्धति का अध्ययन, विश्लेषण एवं नवाचार के माध्यम से पर्यावरण एवं मानव जीवन के अनुकूल खेती को बढ़ावा देगा। वसुधैव कुटुंबकम की भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए पूर्वजों की कुटुंब प्रबोधन, माता-पिता, रिश्तेदार एवं संयुक्त परिवार को बढ़ावा, पारंपरिक प्रकृति संरक्षण, धरती संरक्षण, जल संरक्षण, वृक्ष संरक्षण शैली का आत्मसात, लोकविज्ञान को नवाचार के साथ उपयोग करने को बढ़ावा देगा। वैदिक काल, सिंधु घाटी सभ्यता सहित भारत के पूर्वजों, साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास लेखन, दस्तावेजीकरण, चलचित्रण, प्रमाणीकरण के साथ डिजिटल एयूएम प्लेटफॉर्म पर भारत के नागरिकों के लिए उपलब्ध कराया जायेगा। विदेशी आक्रांताओं के आक्रमणकाल खंड में भारत के पूर्वजों पर हुए अत्याचार, लालच, भयाक्रांत से पूजा पद्धति में जबरन परिवर्तन कराने का मेटावर्स बनाया जायेगा । पैतृक सिद्धांतों एवं पूर्वजों के जीवन मूल्यों का अवलोकन, विमर्श एवं परामर्श हेतु डिजिटल एयूएम प्लेटफॉर्म पर भारत के नागरिकों के लिए उपलब्ध होगा । 

पूर्वजों को जानने का अधिकार बिल क्यों है जरुरी

एयूएम प्लेटफॉर्म 25 पीढ़ियों तक प्रत्येक व्यक्ति के पूर्वजों को मैप करने के लिए उन्नत एआई तकनीक का उपयोग करेगा। हरिद्वार, प्रयागराज, गया और कोणार्क सहित विभिन्न स्थानों पर तर्पण और पिंड पूजा करने वाले पंडितों की जानकारी भी शामिल होगी । पैतृक डेटा रखने वाले व्यक्तियों, परिवार के बुजुर्ग, गांव के मुखिया/बुजुर्ग के योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जिससे सभी भारतीय नागरिकों को 25 पीढ़ियों से चली आ रही अपनी वंशावली का पता लगाने में मदद मिलेगी। अपनी पैतृक विरासत का पता लगाने का अधिकार सभी भारतीयों के लिए अनिवार्य होगा, जो अधिक जानकारीपूर्ण और समृद्ध भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। जानकारी 21 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगी, आधार, डिजीलॉकर, ई-संजीवनी, भाषिनी, यूपीआई, दीक्षा और ओएनडीसी जैसी सेवाएं एयूएम प्लेटफॉर्म से जुड़ी होंगी।

राष्ट्रीय पैतृक प्रज्ञान आयोग की स्थापना का प्रस्ताव

राष्ट्रीय पैतृक प्रज्ञान आयोग (एनसीएडब्ल्यू) की स्थापना को प्रस्तावित किया गया है। एनसीएडब्ल्यू एयूएम और उससे संबंधित गतिविधियों, संचालन के लिए नीतियां, अनुसंधान, दस्तावेज़ीकरण,

प्रासंगिक संस्थानों-संगठनों के साथ सहयोग, डेटा की सुरक्षा, गोपनीयता प्रगति और प्रभाव पर भारत सरकार को रिपोर्ट करेगी।चिन्मय पांडे ने बताया कि पूर्वजों को जानने का अधिकार प्राइवेट बिल के ड्राफ्ट को भारत के माननीय प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, कल्चर मंत्री, सभी सांसदों, सामाजिक संगठन के प्रमुख सहित संत समाज के संतों श्री रामभद्राचार्य जी, शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी, अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी, निश्चलानंद सरस्वती जी, भारती तीर्थ जी, पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जी, मुरारी बापू जी, स्वामी अवधेशानंद गिरी जी, श्री देवकीनंदन ठाकुर जी, जया किशोरी जी, आचार्य गौरव कृष्ण जी, देवी चित्रलेखा जी, श्री श्री रविशंकर जी, गोस्वामी मृदुल कृष्ण जी, इंद्रेश उपाध्याय जी, कल्याण दास जी, मावली सरकार जी सहित हजारों प्रमुख व्यक्तियों को प्रेषित किया गया है।

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