अनुपपुर। केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र, अभाविप विश्वविद्यालय खंड के पूर्व अध्यक्ष तथा स्वदेशी जागरण मंच, स्वावलंबी भारत अभियान के शहडोल जिला युवा आयाम प्रमुख चिन्मय पांडे ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह तथा मुख्यमंत्री मोहन यादव मुख्यमंत्री को केन्द्रीय विवि के माध्यम से बांग्लादेश में हिंदू परिवारों के दयनीय स्थिति, हिन्दुओं के साथ लूटपाट, हत्या, आगजनी, घोर अत्याचार, भगवान जगन्नाथ-माता काली इस्कॉन मंदिर समेत अनेक हिंदू मंदिरों तोड़ने तथा हिंदू मंदिरों में लगातार तोड़फोड़ जारी हिंसा के मामले में संयुक्त राष्ट्र समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल कर हस्तक्षेप करने तथा विदेशी ताकतों के इशारे पर हिंदुओं को जाति और वर्गों में बाँटकर हिंदू को कमजोर करने वालों के खिलाफ कानून बनाने के लिए ज्ञापन सौपा। बांग्लादेश की कुल आबादी 16 करोड़ 98 लाख 28 हजार 911 है। इनमें हिंदू 1 करोड़ 31 लाख 44 हजार 204 हैं। जबकि, मुस्लिम 15 करोड़ 04 लाख 22 हजार 600 हैं। बांग्लादेश में 1974 में साढ़े 13 प्रतिशत हिन्दू आबादी थी। बांग्लादेश की कुल जनसंख्या में यह आंकड़ा घटकर महज हिंदू 7.96 फीसदी हैं। कहां गए ये सभी हिंदू? या तो उनका जबरन धर्मांतरण हुआ या उन्हें मार दिया गया या भगा दिया गया या भारत आ गए। अविभाजित भारत में 1901 में हुई जनगणना में बांग्लादेश में कुल 33 फीसदी हिंदू आबादी रहती थी अब हिंदू आबादी की बात करें तो इन 5 दशक में इनकी संख्या तेजी से घटी है। भारत के द्वारा इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा पहल आवश्यक है।
टोटल फर्टिलिटी रेट एवं भारत में रहने वाले सभी के पूर्वज समान तथा हिंदु है विषय पर हो रहा है शोध
चिन्मय पांडे का पीएचडी टॉपिक - टोटल फर्टिलिटी रेट तथा भारत में रहने वाले सभी के पूर्वज समान तथा हिंदु है, अपनी-अपनी पूजा-पद्धती, भाषा और विविधता में एकता वाले ये सभी लोग हिंदु ही है इसका वैज्ञानिक प्रमाणन करने रिसर्च किया जा रहा है। चिन्मय पांडे के शोध निदेशक कंप्यूटर साइंस फैकल्टी के डीन तथा स्वावलंबी भारत अभियान स्वदेशी जागरण मंच के महाकौशल प्रांत के प्रांत सहसंयोजक प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक आरएसएस विचारक आचार्य डॉ विकास सिंह है।
हिंदुओं को हिंसक बताना विदेशी साजिश का हिस्सा
चिन्मय पांडे ने बताया की भारत के कई पड़ोसी देशों में हिंसा, राजनीतिक अस्थिरता फैलने तथा इन देशों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बहुत दयनीय हो जाने से स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे मुलभुत सेवाओं पर असर पड़ रहा हैं, इसके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है जो इन देशों की आर्थिक-सामाजिक और राजनीति को अस्थिर कर दिए हैं। यही साजिश भारत में करने की चाल विदेशी चल रहे है। हिन्दुओं को हिंसक बताने तथा हिंदुओं को जाति में बांटने की साजिश लगातार रच रहे हैं, हिंदुओं को विभाजित करने वाली साजिश के खिलाफ एक कानून की बहुत आवश्यकता है जो भारत के हिंदुओं को बांटने की राजनीति करने वालों की लगाम लगा सके। बांग्लादेश में ऑपरेशन सर्चलाइट के तहत 25 मार्च 1971 को हिंदुओं के नरसंहार का आगाज हुआ। पाकिस्तान की सेना ने हिंदू घरों और गांवों को निशाना बनाना शुरू किया। कहा जाता है कि पहली ही रात में 5 हजार से 1 लाख के बीच लोग मारे गए थे।
क्या बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए एससी, एसटी, ओबीसी का कोई औचित्य है?
चिन्मय पांडे ने आगे बताया की हिन्दुओं को आपस में बांटकर सत्ता का सुख भोगने में कुशल राजनेताओं से विदेशी ताकतें मिली है, हिंदुओं को विभाजित रखने ब्रिटिश राज में हिंदुओ को तकरीबन 2,378 जातियों में विभाजित किया गया। हिंदुओं को ब्रिटिशों ने नए-नए नए उपनाप देकर उन्हों स्पष्टतौर पर जातियों में बांट दिया गया। बांटो और राज करो की राजनीति जातिगत जनगणना, और फिर चुनावों में इसे मुद्दा बनाकर सत्ता में आने की योजना वास्तव में विदेशी साजिश है। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा, हिंदुओं पर चुन-चुनकर हमले सिर्फ हिंदुओं पर हो रहा हैं. इनके घरों को लूटा जा रहा है. इनके ही देश में इन्हें घर, संपत्ति, जमीन, दुकान हर चीज़ से बेदखल किया जा रहा है. इससे बड़ा अपराध, इससे बड़ा अत्याचार और क्या हो सकता है। कट्टरपंथियों के सामने पीड़ित हिंदू खुद को बचाने की अपील करते नजर आए हैं. प्रदर्शनकारियों से जान की भीख मांग दिखे, लेकिन कट्टरपंथी रुक नहीं रहे. बल्कि बेरहमी की सारी हदों को पार कर रहे हैं. भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्तियों को तोड़ा गया। मंदिर में आग लगा दी गई लगातार हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं. हिंदुओं के घरों और मंदिरों को निशाना बनाया गया है। पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति पहले से ही खराब है। ऐसे स्थिति में बांग्लादेश और पाकिस्तान में एससी, एसटी, ओबीसी का कोई अस्तित्व ही नहीं है क्योंकि जब हिंदु ही नहीं तब जाती का क्या अर्थ रह गया है।
अखंड भारत में सातवीं शताब्दी से हिन्दुओं पर हो रहा अत्याचार नहीं रुक रहा
सातवीं शताब्दी की शुरुआत से शून्य से 50 करोड़ मुसलमान बने, तब भारत की आबादी में एक भी मुसलमान नहीं था। 636 ईस्वी में भारत में पहले मुसलमान का आगमन हुआ, 712 ईस्वी में मोहम्मद बिन कासिम यमन से संयुक्त भारत के सिंध क्षेत्र में पहुंचा। 1000 वर्षों तक आक्रांताओं की आक्रमण कालखंड में भारत में मुसलमान की संख्या चार लाख से साढ़े तीन करोड़ हो गई। 1200 इस्वी में केवल चार लाख मुसलमान से 1400 इस्वी में 32 लाख हो गए। वर्ष 1535 में एक करोड़ 28 लाख हो गए। वर्ष 1800 इस्वी में 5 करोड़ मुसलमान तथा 2023 में 50 करोड़ मुसलमान संयुक्त भारत में हो गए है। पाकिस्तान, बांग्लादेश में तेजी से घट रही हिंदु आबादी वैश्विक चिंता का विषय है।