लोकतंत्र पर हमला: पत्रकार सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही की अनदेखी अस्वीकार्य











अनूपपुर की यह घटना केवल अधिकारियों और पत्रकारों के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है। इसमें शामिल व्यक्तियों को निलंबित करने से ही इस मुद्दे का समाधान नहीं होगा। एक व्यापक और निष्पक्ष जांच आवश्यक है, और अपराधियों को कठोर दंड का सामना करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकारों के खिलाफ इस तरह का दुर्व्यवहार भविष्य में न हो, और यदि ऐसा होता है, तो अपराधियों को कानूनी रूप से दंडित किया जाना चाहिए।

अनूपपुर जिले में परिवहन विभाग की प्रभारी सब इंस्पेक्टर मीनाक्षी गोखले और कांस्टेबल रितु शुक्ला द्वारा पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार की हालिया घटना ने पत्रकारों की सुरक्षा, स्वायत्तता और सम्मान को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। यह मुद्दा केवल अधिकारियों और पत्रकारों के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है। इसमें शामिल लोगों को निलंबित करने से ही समस्या का समाधान नहीं होगा, व्यापक और निष्पक्ष जांच जरूरी है और गलत काम करने वालों को कठोर परिणाम भुगतने होंगे।किसी भी लोकतांत्रिक समाज में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि यह सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाता है और जनता को निष्पक्ष और तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करता है। हालांकि, अनूपपुर जिले में परिवहन अधिकारियों द्वारा प्रदर्शित व्यवहार न केवल लोकतंत्र के मौलिक मूल्यों का उल्लंघन करता है, बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए भी सीधा खतरा है। इसका असर न केवल पत्रकार समुदाय पर पड़ता है, बल्कि समाज के हर तबके पर पड़ता है।पत्रकारों का दायित्व है कि वे लोकतंत्र के स्तंभों को बनाए रखें और शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करें। इसलिए, उन्हें धमकाना या उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग करना लोकतांत्रिक मूल्यों की घोर अवहेलना है। घटना के वायरल होने के बाद प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए परिवहन कांस्टेबल रितु शुक्ला को निलंबित कर दिया। यह निर्णय सराहनीय है, लेकिन निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पूरे मामले की पारदर्शी जांच जरूरी है। साथ ही, भविष्य में इस तरह के कदाचार को रोकने के लिए सख्त कानूनी परिणाम भुगतने की जरूरत है। अगर सुरक्षा बल, जिनकी जिम्मेदारी नागरिकों और कानून प्रवर्तन की सुरक्षा बनाए रखना है, इस तरह का व्यवहार करते हैं, तो यह पूरी व्यवस्था की अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। साथ ही, इस घटना के संबंध में पत्रकारों के साथ रिश्वतखोरी और समझौता करने के आरोप सामने आए हैं। प्रशासनिक व्यवस्था की अखंडता बनाए रखने के लिए इन आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए। भ्रष्टाचार किसी भी व्यवस्था की दक्षता को कमजोर करता है और अगर रिश्वतखोरी के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह एक बड़ी प्रशासनिक विफलता होगी। पत्रकारों को बिना किसी डर या दबाव के अपना काम करने देना एक मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है। पत्रकारों की सुरक्षा केवल शारीरिक सुरक्षा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें मानसिक और पेशेवर स्वायत्तता भी शामिल होनी चाहिए। उनके काम को बाधित करना या उन्हें डराना न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज को सही और निष्पक्ष जानकारी प्राप्त करने से भी रोकता है। पत्रकारों के लिए बिना किसी बाधा के रिपोर्टिंग के लिए सुरक्षित माहौल बनाना पत्रकारिता की स्वतंत्र प्रकृति की रक्षा और स्वस्थ लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।यह घटना केवल अधिकारियों और पत्रकारों के बीच का विवाद नहीं है; यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है। इसमें शामिल व्यक्तियों को निलंबित करने से ही समस्या का समाधान नहीं होगा। एक व्यापक और निष्पक्ष जांच आवश्यक है, और गलत काम करने वालों को कठोर परिणाम भुगतने चाहिए। साथ ही, सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकारों के खिलाफ इस तरह का दुर्व्यवहार भविष्य में न हो, और अगर ऐसा होता है, तो गलत काम करने वालों को कानूनी रूप से दंडित किया जाना चाहिए। पत्रकारिता की स्वतंत्र प्रकृति की रक्षा करना और पत्रकारों के लिए सुरक्षित माहौल प्रदान करना हर सरकार और समाज की साझा जिम्मेदारी है।

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