भोपाल में 1814 करोड़ की ड्रग फैक्ट्री का खुलासा: पुलिस इंटेलिजेंस विफल, क्या राज्य में होगा अवैध ड्रग नेटवर्क बेनकाब ?


विनोद विंधेश्वरी प्रसाद पाण्डेय:✍️

भोपाल में 1814 करोड़ रुपए की ड्रग फैक्ट्री का खुलासा हुआ है, जिससे शहर ही नहीं बल्कि पूरे देश में अवैध ड्रग्स के खतरनाक नेटवर्क का पता चला है। गुजरात एटीएस और दिल्ली नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की संयुक्त कार्रवाई में बगरोदा के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इस फैक्ट्री से बड़ी मात्रा में ड्रग्स जब्त की गई है। इस कार्रवाई के मास्टरमाइंड नासिक के सान्याल बाने, भोपाल के अमित चतुर्वेदी और मंदसौर के हरीश अंजाना को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है की यह फैक्ट्री इंदौर और उज्जैन से लाए गए कच्चे माल के आधार पर प्रतिदिन 25-30 किलो ड्रग्स का उत्पादन कर रही थी। यह फैक्ट्री फर्नीचर निर्माण की आड़ में अमित चतुर्वेदी द्वारा संचालित की जा रही थी, जिसमें उन्नत तकनीक और रासायनिक प्रसंस्करण मशीनरी का उपयोग किया जा रहा था। इस कार्रवाई में जब्त की गई दवाओं में 60 किलो तैयार एमडी ड्रग्स और 840 लीटर लिक्विड मेफेड्रोन शामिल है, जिसकी कुल कीमत 1814 करोड़ रुपए है। ड्रग्स की यह मात्रा करीब 18 लाख युवाओं को नशे की लत में डाल सकती थी, जो समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती थी।फैक्ट्री में अत्यधिक जहरीली रासायनिक प्रसंस्करण गतिविधियों के कारण जांच में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण निरीक्षण दल को रासायनिक प्रतिरोधी मास्क पहनना पड़ा। गुजरात एटीएस की 17 सदस्यीय टीम ने एक महीने तक फैक्ट्री की गतिविधियों पर नजर रखी। हालांकि, मध्य प्रदेश उद्योग विभाग, नारकोटिक्स विंग और पुलिस की लापरवाही ने इस नेटवर्क को लंबे समय तक काम करने दिया। इस ऑपरेशन ने राज्य की गुप्त प्रणाली की विफलता पर सवाल उठ रहे है । यह मामला ड्रग जब्ती से आगे बढ़कर एक बड़े नेटवर्क की संलिप्तता और आपूर्ति श्रृंखला जांच के मुद्दे तक फैला हुआ है। इस घटना ने राज्य की कानून प्रवर्तन क्षमता और गुप्त प्रणाली के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।यह ऑपरेशन न केवल भोपाल बल्कि पूरे देश के लिए बढ़ते अवैध ड्रग व्यापार के बारे में चेतावनी है। यह देखना महत्वपूर्ण है कि मध्य प्रदेश पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों तक कैसे पहुंचती हैं। इस मामले में आगे की जांच और चुनौतियां ड्रग जब्ती तक सीमित नहीं हैं। इस कार्यवाही से यह सवाल उठता है कि क्या केवल तीन व्यक्ति इस नेटवर्क को चला रहे थे या इसके पीछे कोई बड़ी इकाई है। जिसके आपूर्ति नेटवर्क की जांच जारी है, और यह देखा जाना बाकी है कि कितनी मात्रा में ड्रग पहले ही आपूर्ति की जा चुकी हैं। इस घटना ने राज्य की कानून प्रवर्तन प्रणाली और गुप्त प्रणाली की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुल मिलाकर, यह ऑपरेशन अवैध ड्रग तस्करी से निपटने के लिए मजबूत उपायों की आवश्यकता और ऐसे नेटवर्क को खत्म करने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। यह देश में अवैध ड्रग गतिविधियों पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के बीच सहयोग के महत्व पर भी जोर देता है।

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