नॉन टीचिंग के पदों पर ज्वाइनिंग, बिल्डिंग कमेटी, कार्यपरिषद, फाइनैंस कमिटी की बैठक पर तत्काल रोक लगाने भगवा पार्टी ने सौंपा ज्ञापन



अनूपपुर। राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी द्वारा पिछले पांच वर्षों में जनजातीय समुदाय के साथ सुनियोजित ढंग से साजिश रचकर नुकसान पहुंचाया गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के करोड़ों रुपये का गबन प्रो प्रसन्ना कुमार सामल के माध्यम से करवाया गया है। इतना ही नहीं अगला कुलपति का फिक्सिंग किया गया। कुलपति घोटाला जैसे अपराध किए गए हैं। जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए शॉर्टलिस्टेड 26 उम्मीदवारों में से 15 के ऊपर घोटाला और कई प्रकार के अकादमिक भ्रष्टाचार की आरोप लग चूके हैं यह राष्ट्रीय स्तर का समाज को शर्मसार करने वाला कुलपति घोटाला है। शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार विश्वविद्यालय के सबसे सीनियर मोस्ट प्रोफेसर को दे दिया है जैसा कि एक्ट में प्रावधान है। जब प्रभारी कुलपति की नियुक्ति का ई मेल आ चुका है तब प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी किसी भी प्रकार की विशिष्ट डिसिज़न, बिल्डिंग कमेटी, फाइनैंस कमिटी तथा कार्य परिषद की बैठक नहीं करा सकते हैं और यदि कराते है तो वह अपने आप में शून्य माना जाएगा तथा उनके विरुद्ध भगवा पार्टी अलग से आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाएगी। इस मामले में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्री को भगवा पार्टी के प्रदेश सचिव विवेक सरावगी ने ज्ञापन सौंपाकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। 

*नॉन टीचिंग के पदों पर नहीं करा सकते हैं ज्वाइनिंग*

विवेक सरावगी ने बताया कि अपने कार्यकाल के अंतिम समय में कुलपति प्रो प्रकाशमणि त्रिपाठी फर्जी काम तेजी से कर रहे है तथा बैकडेट से अनेक फ़ाइलों पर साइन कर रहे हैं। नॉन टीचिंग की पदों पर फर्जी और विवादित ढंग से भर्ती की प्रक्रिया की गई है जिसमें जॉइनिंग कराने की साजिश चल रही है। साथ ही बिल्डिंग कमेटी, फाइनैंस कमिटी, कार्य परिषद की बैठक कर अनैतिक कृत्यों को अंजाम देने में लगे है उनके द्वारा किया जा रहा यह कृत्य शासकीय पद का दुरुपयोग तथा दुर्भावना से ग्रसित होकर समाज और व्यक्ति को क्षति पहुंचाने की साजिश की श्रेणी में आता है। इसे रोकने के लिए भी भगवा पार्टी ने ज्ञापन सौंपा है, यदि आज के बाद से प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा कार्य परिषद की बैठक आयोजित कराई गई तो इनके विरुद्ध थाना में अपराध पंजीबद्ध करवाया जायेगा।  

हिन्दू समाज की एकता और सामाजिक समरसता के लिए सामूहिक षडयंत्र

विवेक सरावगी ने बताया कि आईजीएनटीयू कुलपति फिक्सिंग प्रकरण जनजातियों के गौरव के साथ खिलवाड़, जनजातीय सम्मान पर आंच, मध्यप्रदेश का अपमान, सामाजिक समरसता के लिए सामूहिक षडयंत्र है। श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी टीचिंग एवं नॉन टीचिंग के पदों पर अपने गांव क्षेत्र तथा जाति के साथ साथ अपने परिचितों की भर्ती कर दिए हैं, क्षेत्रवाद तथा जातिवाद के आधार पर मध्यप्रदेश की गौरव गरिमा तथा यहाँ के युवा एवं जनजातियों के साथ छल धोखा किए हैं, जनजातीय कार्य मंत्रालय के करोड़ रुपये का गमन एक रिटायर्ड प्रो प्रसन्ना कुमार सामल के माध्यम से घोटाला करवाये। भारत के राजपत्र में प्रकाशित गजट के अनुसार कार्यपरिषद, बिल्डिंग कमेटी, फाइनांस कमेटी में पर्याप्त संख्या में जनजाति सदस्य होने चाहिए लेकिन जनजातीय विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद में एक भी जनजातीय सदस्य नहीं होना जनजातीय गौरव पर प्रश्नचिन्ह लगाता हैं 

कुलपति चयन समिति के सदस्यों पर ही घोटाला भष्टाचार के गंभीर प्रकरण चल रहे है

विवेक सरावगी ने आगे बताया कि अत्यंत दुर्भाग्यजनक स्थिति यह है कि इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के अगले कुलपति के चयन के लिए चयन समिति बनाई गई है उस चयन समिति के सदस्यों पर करोड़ों के घोटाला भ्रष्टाचार के अपराध दर्ज हैं तथा इनके विरुद्ध न्यायालय में मामला भी चला है। प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने साजिश के तहत फर्जी कार्यपरिषद से दो ऐसे गैर आदिवासी सदस्यों का नाम कुलपति चयन समिति के लिए भिजवाया, जिनके विरुद्ध पहले से ही अनेक आपराधिक प्रकरण दर्ज है तथा मामला न्यायालय तथा उच्च न्यायालय में भी चला है, करोड़ से अधिक के घोटाले में प्रो एनसी गौतम को बर्खास्त किया जा चुका है, इसके बावजूद भी चयन समिति का सदस्य बनाना कुलपति पद की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह है, कुलपति एक ऐसे फर्जी कार्य परिषद का संचालन करते हैं जिसमें कार्य परिषद के सदस्य मूकदर्शक बनकर जी हाँ करते रहते हैं, अपराध करने से ज्यादा अपराध को प्रश्रय देने वाला दोषी होता है, कार्यपरिषद के सदस्यों पर भी अपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए। 

क्या मध्यप्रदेश मे एक भी योग्य प्रोफेसर नहीं है?

विवेक सरावगी ने बताया कि मध्य प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, गुना सही प्रमुख जगहों से 67 आवेदन कुलपति बनने के लिए प्रेषित किए गए हैं। लेकिन कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी के इशारे पर मध्य प्रदेश के वास्तविक निवासियों के साथ धोखा किया गया। क्या पूरे भारत में एक भी जनजातीय प्रोफेसर योग्य नहीं है? अनेक जनजातीय समुदाय के प्रोफेसर ने भी आवेदन दिया था लेकिन कुलपति चयन समिति ने उन सभी को दरकिनार कर दिया बल्कि मध्यप्रदेश का अपमान करने के लिए ऐसे लोगों का नाम डाला जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी नहीं थे, चयनसमिति का सर्च का आधार भ्रष्टाचार, आपसी परिचय तथा करोड़ों का डीलिंग थी, आईजीएनटीयू के कुलपति चयन समिति द्वारा कुलपति पद के लिए प्राप्त आवेदनों में से बेहतर आवेदन को सर्च करना था, जिसमें आवेदक का पेटेंट, पब्लिकेशन, ऐकैडेमिक ट्रैक रिकॉर्ड, धरातल कार्य करने का रिकॉर्ड इत्यादि सभी दस्तावेज़ को बारीकी से देख कर एक चार्ट बनाकर मेरिट के आधार पर सॉर्ट लिस्ट करना न्याय के अनुसार उचित था, लेकिन वर्तमान कुलपति चयन समिति केवल परिचय, रिश्तेदारी, क्षेत्रवाद जातिवाद, भ्रष्टाचार करोड़ों की लेनदेन की डीलिंग को आधार बनाकर कुलपति के लिए नाम शॉर्ट लिस्ट किया है। यहाँ एक प्रकार का भयानक सिंडिकेट तथा उच्च शिक्षा के लिए बेहद घातक कार्य किया है।

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