अधूरी उम्मीदें: अनूपपुर की दीदी आजीविका कैंटीन पर ताला, महिला स्व-सहायता समूहों के आत्मनिर्भरता पर पानी

 






अनूपपुर/ जिले के संयुक्त कलेक्ट्रेट परिसर में लाखों रुपये की लागत से तैयार की गई दीदी आजीविका कैंटीन, जिसे महिला स्व-सहायता समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया था, आज वीरान पड़ी है। इस कैंटीन का उद्घाटन स्वयं कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने 15 फरवरी 2021 को किया था, लेकिन आज इस पर ताले लटके हुए हैं। यह स्थिति न केवल सरकारी योजनाओं की लचर क्रियान्वयन प्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि उन महिलाओं के भविष्य को भी अंधकारमय बनाती है जिन्होंने इस पहल के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का सपना देखा था। महिला समूहों को रोजगार और आत्मनिर्भरता प्रदान करने के उद्देश्य से यह योजना बनाई गई थी, लेकिन अब यह भवन सुनसान पड़ा है।गौरतलब है कि कैंटीन खुलने से पहले 27 शासकीय विभागों के कर्मचारियों एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को नाश्ता और चाय के लिए बाहर जाना पड़ता था। कैंटीन के शुरू होने से उन्हें यह सुविधा परिसर में ही उपलब्ध हो गई थी, लेकिन अब एक बार फिर वे उसी स्थिति में लौट आए हैं। जब यह कैंटीन खोली गई थी, तब प्रशासन ने इसे स्व-सहायता समूहों की आत्मनिर्भरता की मिसाल बताया था। लेकिन अब जब यह बंद हो चुकी है, तो प्रशासन इस पर ध्यान देने को तैयार नहीं है।यह एक गतिविधि आधारित योजना है, जिसमें जैतहरी विकास खंड के आजीविका के पांच-पांच अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं और जैतहरी विकास खण्ड का यह एकमात्र गतिविधि आधारित केंद्र है इसके बावजूद यह बंद पड़ी है। आश्चर्य की बात यह है कि जिला पंचायत कार्यालय और जिला पंचायत में ही आजीविका कार्यालय के प्रमुख भी बैठते हैं, जिनके अधीन संबंधित अधिकारी कार्यरत हैं, फिर भी इस कैंटीन को पुनः संचालित करने की कोई पहल नहीं की जा रही है।इस कैंटीन का संचालन जैतहरी विकासखंड के आजीविका स्व-सहायता समूह द्वारा किया जाता था। लंबे समय से यह कैंटीन बंद पड़ी है, और जब कभी यह खुलती भी है, तो अनियमितता और अव्यवस्थाओं के बीच संचालित होती है। यहां महिलाओं की सहभागिता नगण्य होती जा रही है और संचालन की जिम्मेदारी पुरुषों के हाथों में आ गई है। अगर जिला मुख्यालय में ही ऐसी स्थिति बनी हुई है, तो मुख्यालय से दूर आजीविका योजनाओं की स्थिति कैसी होगी, इसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं है।क्या यह सरकारी योजनाओं की विफलता का एक और उदाहरण नहीं है? यह केवल रोजगार का सवाल नहीं है, बल्कि महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने के संघर्ष और सरकारी योजनाओं की साख का भी मामला है। यदि प्रशासन जल्द कदम नहीं उठाता, तो यह स्व-सहायता समूहों की सशक्तिकरण योजनाओं की साख पर एक और बड़ा प्रश्नचिह्न होगा।

Comments
Popular posts
विश्व पर्यावरण दिवस पर उद्योग ने तालाब गहरीकरण वृक्षारोपण एवं प्राकृतिक जल स्रोतों किया संचयन।
Image
अनूपपुर थर्मल एनर्जी की पर्यावरणीय लोक सुनवाई सफलता पूर्वक संपन्न, मिला सामुदायिक समर्थन
Image
अस्मिता पर सुनियोजित प्रहार, मजहबी चक्रव्यूह के शिकंजे में बेटियां
Image
विजय के शिखर पर ठहराव और भारत की वैश्विक छवि
Image
सार्वजनिक विवाह सम्मेलन में भगवा पार्टी ने की जल व्यवस्था, जनसेवा का दिया संदेश
Image