मध्यप्रदेश में पत्रकारों पर बढ़ता हमला लोकतंत्र के लिए खतरा : संयोजक नलिन कांत बाजपेयी


सरकार प्रेस की आजादी को दबाने की कोशिश कर रही, भाजपा नेतृत्व ले संज्ञान

अनूपपुर, । राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद के संयोजक नलिन कांत बाजपेयी ने राज्य में पत्रकारों पर हो रहे हमलों को लेकर भाजपा सरकार पर तीखी आलोचना की है। श्रमजीवी पत्रकार परिषद् अनूपपुर के जिला प्रवक्ता भगवानदास मिश्रा ने बताया कि नलिनकांत बाजपेयी ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा है कि भोपाल में एक पत्रकार के साथ पुलिस की बर्बर कार्रवाई निंदनीय और शर्मनाक है। इस घटना ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जो यह साबित करता है कि भाजपा सरकार प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने में लगी है।

पत्रकारों पर हमले में नड्डा और शर्मा चुप क्यों ?

पत्रकार परिषद ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से सवाल किया कि आप मध्यप्रदेश के दामाद हैं, लेकिन प्रदेश में पत्रकारों पर हो रहे सरकारी हमलों पर आपकी चुप्पी क्यों? क्या भाजपा सरकार सच का गला घोंटकर तानाशाही की राह पर चल रही है ? इसके साथ ही उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा से भी अपील की कि वे उज्जैन में पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों का संज्ञान लें। उन्होंने उज्जैन में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा अत्याचार की बात कही हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।

भाजपा सरकार पत्रकारों को दबाने की बजाय जवाबदेह बने 

श्री बाजपेयी ने कहा कि पत्रकार परिषद पत्रकारों के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि यह हमले बंद नहीं हुए तो पत्रकार परिषद सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य होता है कि वह चौथे स्तंभ की रक्षा करे, न कि उसे डराने-धमकाने की कोशिश करे। भाजपा सरकार को यह समझना होगा कि सच को दबाने से सरकारें नहीं बचतीं, बल्कि और तेजी से गिरती हैं।हाल में ही हुई सीधी जिले की घटना पर श्रमजीवी पत्रकार परिषद अनूपपुर के जिला प्रवक्ता भगवान दास मिश्रा ने कहा कि सीधी में पत्रकार रवि पांडेय के घर को जिस तरह जलाया गया उसकी श्रमजीवी कड़ी निंदा करता है, सरकार जिस तरह अभिव्यक्ति की आजादी पर शिकंजा कसना चाह रही है उसके सैकड़ों उदाहरण हमे रोज देखने को मिल रहे है, ऐसा ही एक उदाहरण बीते दिन हमें सीधी में देखने को मिला जहां युवा पत्रकार का पूरा घर आग के हवाले कर दिया गया।अ बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों हमारे अधिकारों के हनन पर चुप्पी साधे है सरकार...?

अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला

सीधे में पत्रकार रवि पांडेय का दोष केवल इतना है कि उन्होंने निष्पक्षता से खबरों को प्रकाशित किया फलस्वरूप उन्हें अपना घर खोना पड़ा। गनीमत रही कि जब आग लगी तब परिवार के सदस्य जग रहे थे अन्यथा पूरे परिवार को एक साथ जलाने की साजिश रची गई थी। आज रवि पाण्डेय का घर जला है कल हमारी बारी है अपनी बारी का इंतजार न करें गलत को खुलकर बोले और सही बोलने वाले का सहयोग करें अन्यथा यह हमला किसी एक पत्रकार पर नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी पर क्रूर हमला है और चौथे स्तंभ को कुचलने की साजिश है ।आए दिन पत्रकारों के साथ हाथा पाई मार पीट गाली गलौज की घटनाएं आम हो चुकी है क्यों सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं क्यों हमारे अधिकारों को कुचलने की साजिश की जा रही है। अगर सरकार पत्रकारों की पक्षधर है तो क्यों एक कठोर कानून नहीं बनाया जा रहा ताकि पत्रकार साथियों के बर्बरता पर दोषियों को ऐसी कड़ी सजा दी जाये।

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